2 राज्यों के लिए अगला एक घंटा अहम, शिवराज की नगरी से कांग्रेस आउट!

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राजस्थान में हर चुनाव में सत्ता परिवर्तन देखने को मिलता है और इस बार भी ये परंपरा बरकरार है। हालांकि चुनावों से पहले अमित शाह एंड पार्टी की तरफ से बड़े-बड़े दांवे ठोके जा रहे थे कि बीजेपी की सरकार पूर्ण बहुमत से तीन राज्यों छतीसगढ़, मध्यप्रदेश और राज्यस्थान में सरकार बनाएगी लेकिन अब मतगणना के आंकड़ों में ऐसा कुछ स्पष्ट्र रूप से नहीं नजर आ रहा।

आपको बता दें अभी तक स्थिति पूरी तरह से साफ नहीं हुई है लेकिन ये जरूर कहां जा सकता है कि जनता ने जहां बीजेपी को पूर्ण सहयोग नहीं दिया तो कांग्रेस पर विश्वास नहीं जताया।  

साल 2003 और 2008 और 2013 के चुनावी नतीजों को देखा जाए हर चुनाव में सत्ता परिवर्तन हुआ, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीटों का अंतर दिलचस्प रहा है। साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 120 सीटें मिली थीं और वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी थी। राजे ने पहली बार राज्य की कमान संभाली थी. इसके बाद 2008 के चुनाव हुए तो कांग्रेस को 96 सीटें मिलीं और बीजेपी 78 सीटों के साथ बहुमत से 22 सीट दूर रह गई।

यानी सत्ता विरोधी लहर होने के बावजूद 2008 में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी को 78 सीटें मिलीं। वहीं, 2013 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो बीजेपी ने कांग्रेस को न सिर्फ सत्ता से बाहर किया, बल्कि 163 सीट पाकर एकतरफा जीत हासिल की और कांग्रेस महज 21 सीटों पर रह गई। फिलहाल, अब तक के जो नतीजे आ रहे हैं, उनमें कांग्रेस बहुमत के आकंड़े से जरूर आगे बढ़ गई है, लेकिन बीजेपी भी 80 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।

आतंरिक कलह बनीं बीजेपी की हार की वजह-
हालांकि अभी तक नतीजे आने बाकी है, वहीं रूझानों ने स्थिति स्पष्ट्र कर दी है और कांग्रेस पार्टी में जश्न का महौल बना हुआ है। मौजूदा चुनाव नतीजों से एक बात ये भी स्पष्ट होती दिख रही है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ जिस गुस्से की बात की जा रही थी और एग्जिट पोल में कांग्रेस द्वारा क्लीन स्वीप करने के जो आंकड़े सामने आ रहे थे, असल नतीजे उससे उलट आ रहे हैं। राजस्थान में चुनाव प्रचार के दौरान भले ही ‘मोदी से बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं’ जैसे नारों की गूंज सुनाई दी हो, लेकिन बीजेपी के प्रदर्शन को सम्मानजनक माना जा रहा है। वहीं ये भी चर्चा थी कि वसुंधरा राजे और बीजेपी पार्टी में आंतरिक कलह है। लेकिन फिलहाल जो रूझान सामने आ रहे हैं उसमें देखा जाए वसुंधरा राजे ने अपने दम पर इतना बड़ा आंकड़ा पार किया है।

एमपी में पल-पल बदलता रिजल्ट-
सवाल ये है कि बीजेपी इतिहास रचते हुए चौथी बार शिवराज सिंह के नेतृत्व में सत्ता में वापसी करेगी? या फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ की जोड़ी कांग्रेस की मध्य प्रदेश में वापसी कराएगी। आपको बता दें 11 बजे के बाद के आंकड़े पल-पल बदल रहे हैं और बीजेपी को मध्यप्रदेश में सरकार बनाने का बहुमत देते दिख रहे हैं। मतलब कहां जाए कि पूरी तरह से दोनों ही पार्टियों में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है।

छतीसगढ़ में सफाया-
छतीसगढ़ में एक आंकड़े के बाद सीटों की बढ़त बीजेपी के लिए बढ़नी बंद सी हो गई है। वहां पूरी तरह से स्थिति साफ सी हो चली है कि कुछ ही घंटों बाद कांग्रेस सरकार बना ही लेगी।

आपको बता दें कि राजस्थान के चुनावी रण में कुल 4,74,79,402 मतदाताओं ने 2274 उम्मीदवारों की किस्मत को वोटिंग मशीन में कैद किया है। प्रदेश में 142 सीटें सामान्य, 34 सीटें अनुसूचित जाति और 25 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक करीब 72 फीसदी लोगों ने अपने मत का इस्तेमाल किया।


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