आ गई दिमाग की मेमोरी बढ़ाने वाली डिवाइस, बस करना होगा ये छोटा-सा काम

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मोबाइल फोन के मेमोरी कार्ड की तरह अब इंसान भी दिमाग में चिप लगवा कर अपनी वास्तविक याददाश्त की क्षमता बढ़ा सकेंगे। इसके लिए चूहों और बंदरों पर परीक्षण सफल हो चुका है और अब इंसानों पर इसका प्रयोग किया जा रहा है। पहली बार तैयार हो रही इस ब्रेन चिप को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि, यह विद्युत संकेतों का वैसा ही पैटर्न तैयार करे, जैसे लांग टर्म मैमोरी के समय दिमाग में तैयार होता है। इसके लिए यूनिवर्सिटी ऑफ साउथर्न कैलिफोर्निया में इस पर प्रयोग अंतिम दौर में चल रहा है। वहां बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डोंग सोंग व बेर्गर इस शोध पर काम कर रहे हैं। 

अमेरिका में इस चिप को चूहों और बंदरों पर सफलता पूर्वक आजमाया जा चुका है। इस परीक्षण के बाद अब मनुष्यों पर इसका प्रयोग किया जा रहा है। शोध में लगे वैज्ञानिक मानते हैं कि इस चिप के बाद 25 से 30 फीसदी तक मैमोरी बढ़ाई जा सकेगी। ऐसा होता है तो वो दिन दूर नहीं जब मनुष्य भी ऐसी चिप ब्रेन में लगवा कर लंबे समय तक याददाश्त बढ़ा सकेंगे।

पिछले दिनों जयपुर में आयोजित इंटरनेशनल न्यूरोफेस्ट कांफ्रेंस में आए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी इंग्लैंड के सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. रिकिन त्रिवेदी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस तरह का प्रयोग चल रहा है और इसकी सफलता के बाद इंसानी दिमाग में याददाश्त बढ़ाने की चिप लगाई जा सकेगी। उन्होंने कहा कि, ब्रेन चिप को ऐसे साफ्टवेयर से लैस किया जा रहा है जो शॉट टर्म मैमोरी को लांग टर्म मैमोरी में बदल सकता है।

यानि जो बातें इंसान के दिमाग में कुछ समय बाद निकल जाती हैं, उन्हें सालों तक याद किया जा सकेगा। इस प्रयोग में फोकस हिप्पोकेम्पस पर किया जा रहा है। यह ब्रेन का वह क्षेत्र है जो याददाश्त और सीखने के लिए प्रमुख माना जाता है। डिमेंशिया और अल्जाइमर बीमारी में हिप्पोकेम्पस कम हो जाता है, जिससे भूलने की समस्या हो जाती है।

रिसर्च के तीन फेज में से दो में सफल, ह्यूमन ट्रायल चल रहा है
न्यूरोफेस्ट के आयोजक और एक सिटिंग में सबसे ज्यादा ब्रेन ट्यूमर निकालने पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड विजेता जयपुर के न्यूरो सर्जन डॉ. के.के. बंसल ने बताया कि किसी भी रिसर्च की तीन फेज होती है। पहली फेज एनिमल को हार्मफुल तो नहीं। दूसरा फेज में लाभ-हानि देखी जाती है। ये दोनों ट्रायल सफल हो चुकी है। तीसरी फेज में ह्यूमन पर ट्रायल की जा रही है। इसके लिए वॉलेंटियर की तलाश की जा रही है। इससे सामान्य लोगों को तो लाभ होगा ही, वहीं डिमेंशिया और अल्जाइमर रोग में याददाश्त कमजोर होने वाले रोगियों को भी लाभ मिल सकेगा। अभी तक इस प्रक्रिया में आने वाले खर्चें की बात नहीं की है।

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