इसरो ने लॉन्‍च किया साउथ एशिया सैटेलाइट, PM मोदी का 6 देशों को बड़ा तोहफा

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने मोदी की स्पेस डिप्लोमेसी की तारीफ की है।

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हैदराबाद. इसरो ने शुक्रवार को 2230 किलो के साउथ एशिया सैटेलाइट (GSAT- 9) की कामयाब लॉन्चिंग की। इसे GSLV-F09 रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा से दोपहर बाद 4:57 बजे लॉन्च किया गया। इसके जरिए पाकिस्तान को छोड़कर बाकी साउथ एशियाई देशों को कम्युनिकेशन की फेसेलिटी मिलेगी। इस मिशन में अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव और श्रीलंका शामिल हैं। इस प्रोजेक्ट पर 450 करोड़ रुपए का खर्च आया है।

पाक के हटने से साउथ एशिया हुआ नाम
इस सैटेलाइट का नाम पहले सार्क सैटेलाइट रखा गया था। पर पाकिस्तान के बाहर होने के बाद इसका नाम साउथ एशिया सैटेलाइट कर दिया गया। भारत के इस फैसले से पड़ोसी देशों को काफी हद तक आर्थिक मदद मिलेगी और कम्युनिकेशन में भी आसानी होगी।  बता दें कि 3 साल पहले नरेंद्र मोदी ने इसरो से सार्क देशों के लिए सैटेलाइट बनाने के लिए कहा था।
क्या बोला चीनी मीडिया?
भारत के इस कदम को चीन की स्पेस डिप्लोमैसी के जवाब के तौर पर देखा जा रहा। भारत का ये शांति दूत स्पेस में जाकर कई काम करेगा। यह एक संचार उपग्रह है, जो नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, श्रीलंका और अफगानिस्तान को दूरसंचार की सुविधाएं मुहैया कराएगा। सार्क देशों में पाकिस्तान को छोड़ बाकी सभी देशों को इस उपग्रह का फायदा मिलेगा। जानकारों के मुताबिक- भारत का यह कदम पड़ोसी देशों पर चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में काम आएगा।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने मोदी की स्पेस डिप्लोमेसी की तारीफ की है। साथ ही, ये भी कहा कि भारत के पड़ोसी देशों के साथ स्पेस रिलेशन मजबूत करने की योजना में चीन को बाहर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। पूर्व प्रेसिडेंट एपीजे अब्दुल कलाम की 2012 में हुई चीन यात्रा के दौरान भारत-चीन के ज्वाइंट स्पेस प्रोग्राम पर बात हुई थी।
इस प्रोजेक्ट से जुड़ी खास बातें

1.इस मिशन में अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव और श्रीलंका शामिल हैं।

2.इससे दक्षिण एशिया के देशों को कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का फायदा मिलेगा. प्राकृतिक आपदाओं के दौरान कम्युनिकेशन में मददगार होगा।

3. इस सैटेलाइट का नाम पहले सार्क रखा गया लेकिन पाकिस्तान के बाहर होने के बाद इसका नाम साउथ ईस्ट सैटेलाइट कर दिया गया. पाकिस्तान ने यह कहते हुए इससे बाहर रहने का फैसला किया कि उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है।

4.मई 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से दक्षेस उपग्रह बनाने के लिए कहा था वह पड़ोसी देशों को ‘भारत की ओर से उपहार’।

5. इस उपग्रह की लागत करीब 235 करोड़ रुपये है और इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया क्षेत्र के देशों को संचार और आपदा सहयोग मुहैया कराना है।

पीएम मोदी ने की इसरो की तारिफ:
पीएम ने कहा, “साउथ एशिया सैटेलाइट की कामयाब लॉन्चिग से पूरे रीजन को फायदा मिलेगा। आज का दिन ऐतिहासिक है। इससे सार्क देशों को विकास में मदद मिलेगी। मैं अफगानिस्तान, भूटान, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल के चीफ को धन्यवाद देता हूं। ये हम सबकी मिलीजुली कोशिश है। जिससे सभी देशों के लोगों के बीच बेहतर गवर्नेंस, बैंकिंग, कम्युनिकेशन, एजुकेशन और मौसम की जानकारी मिलेगी।” अफगानिस्तान के प्रेसिडेंट मो. अशरफ गनी ने भी सैटेलाइट की कामयाब लॉन्चिंग पर मोदी और इसरो को बधाई दी।

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