आप सभी जानते हैं कि हमने 15 अगस्त 1947 को सैकड़ों सालों की अंग्रेजी हुकूमत की नीव उखाड़कर आजादी हासिल की थी। ब्रिटिश राज की बुरी नीतियों के चलते हमारी अर्थव्यवस्था का दोहन लगातार जारी रहा जिसके कारण स्वतंत्र भारत के सामने गरीबी, अशिक्षा, भूखमरी जैसी तमाम समस्याएं मुंह बाए खड़ी थी। इसके साथ ही एक अविकसित, गरीब और कम पढ़ा-लिखा भारत भी हमें मिला। देश के विकास में बाधा स्वरूप हमारे सामने तमाम समस्याएं थी, लेकिन इन समस्याओं के साथ शुरू हुई हमारी विकास यात्रा इन सात दशकों में नई ऊंचाई पर पहुंच गई। इस दौरान भारत ने शून्य से लेकर शिखर तक या दूसरे शब्दों में कहें तो साइकिल से लेकर अंतरिक्ष तक का सफर तय किया। नए-नए आविष्कारों और तकनीकी विकास से भारत ने दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल हुआ। हमने बुनियादी संरचनाओं से लेकर रक्षा, शिक्षा, ऊर्जा और खाद्यान्न उत्पादन मामले में काफी तरक्की की। आज पूरी दुनिया की निगाहें हमारी तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था पर टिकी है। निसंदेह रूप से हम मजबूती के साथ दुनिया में नए भारत के निर्माण की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। किसी भी देश के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण योगदान होता है। आइए जानते हैं किस प्रकार से आजाद भारत के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी अपना योगदान दे रहा है और अब तक की विकास यात्रा में हमने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कौन सी उपलब्धियां हासिल की और साथ ही साथ यह भी जानने का प्रयास करते हैं कि भविष्य में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की क्या योजनाएं हैं। वर्तमान में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मुख्य योजनाओं में “टेक्नोलॉजी विजन 2035” एक महत्वाकांक्षी योजना है।
इस योजना के अंतर्गत देश को 2035 तक जिस प्रकार की तकनीक और वैज्ञानिक दक्षता की आवश्यकता होगी। उसे प्राप्त करने की एक विस्तृत रूपरेखा तैयार की गई है। इस योजना में विशेष रूप से 12 क्षेत्रों पर बल दिया गया है इनमें प्रमुख है शिक्षा, चिकित्सा और स्वास्थ्य, खाद्य और कृषि, जल, ऊर्जा, पर्यावरण और यातायात इस योजना को ध्यान में रखते हुए सरकार कई सारी योजनाओं और नीतियों को लागू कर रही है। इसके तहत 25 मार्च 2015 को ” राष्ट्रीय सुपर कम्प्यूटिंग मिशन ” की शुरुआत हुई। जिसका लक्ष्य भारत को 7 वर्ष में विश्व स्तरीय कम्प्यूटिंग शक्ति बनाने का लक्ष्य है। इसमें 4500 खर्च करने की योजना है। सरकार ने युवाओं में विज्ञान के प्रति रोचकता और सहजता लाने के उद्देश्य अटल इनोवेशन और अटल टिंकरिंग लैब की शुरुआत की है। जिसका सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहा हैं।भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की बात करें तो इसकी शुरुआत 21 नवंबर 1963 को थूम्बा में पहला रॉकेट लांच करने के साथ हुई। इसके बाद से भारत ने अपने अंतरिक्ष के सफर में कई मील के पत्थर पार कर लिए। आज हमारा देश अपने लिए और दूसरे देशों के लिए उपग्रहों का निर्माण करने के साथ ही उनका प्रक्षेपण भी कर रहा है। 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी (ISRO) की नींव रखी गई।1972 में अंतरिक्ष आयोग और अंतरिक्ष विभाग का गठन किया गयाह जिसने अंतरिक्ष की शोध गतिविधियों में नई ऊर्जा भर दी। अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की बात करें तो 19 अप्रैल 1975 को भारत ने देश का पहला उपग्रह “आर्यभट्ट” लांच किया इस प्रायोगिक उपग्रह का वजन 360 किलोग्राम था। आर्यभट्ट को यह नाम प्राचीन भारत के खगोलविद से मिला। 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने।
22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान के सफल प्रक्षेपण के साथ ही ISRO की ऐतिहासिक चंद्र मिशन की शुरुआत हुई। साल 2014 में इसरो ने सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर मंगलयान भेजा जो 67 करोड़ किलोमीटर का सफर तय करके इसरो ने पहली बार में ही मंगलयान सीधे मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचा दिया। इस मिशन में इसरो ने सिर्फ 450 करोड़ खर्च किए जो नासा के मॉबिन मिशन के खर्च का दसवां हिस्सा था।इसरो ने भारत के अंतरिक्ष मिशन में तब चार चांद लगा दिए जब 15 फरवरी 2017 को एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च कर के विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में नया अध्याय लिखा। इससे पहले यह रिकॉर्ड रूस के नाम दर्ज था। इस शानदार कामयाबी ने भारत को दुनिया में छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण की सुविधा प्रदान करने वाले देश के रूप में स्थापित कर दिया। IRNSS-1G के सफल लॉन्च के साथ ही भारत का स्वदेशी वैश्विक नेविगेशन सिस्टम स्थापित हो गया। इसके साथ ही भारत ने अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में दुनिया के चुनिंदा देशों में अपनी जगह बनाई।
21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किए जाने से भारत की कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में योग को वैश्विक मान्यता मिलना वह भी यूएन में 173 देशों के समर्थन के साथ जो यूएन के इतिहास में अभूतपूर्व स्तर का समर्थन था। जिसने पूरी दुनिया ध्यान भारत की तरफ खींचा। यूनेस्को ने योग को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा लिए गए साहसिक फैसले से भारत के रक्षा बल दुश्मन को उसकी भाषा में जवाब देने में सक्षम है। सीमापार आतंकवादियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करके सेना ने अपने पराक्रम अपने साहस और देश की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया है जो प्रत्येक भारतवासी के लिए गर्व का विषय है। इसी प्रकार भारत के नेतृत्व में 30 नवंबर 2015 को फ्रांस के साथ दुनिया के सौ से अधिक देशों की सहभागिता के साथ “अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन” का गठन वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करता है। विभिन्न क्षेत्रों में इन सभी उपलब्धियों के साथ भारतीय द्वारा किए जा रहे प्रयासों से बेहतर भविष्य के निर्माण में मदद मिल रही है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आर्थिक विकास में हो रही इस तरक्की के माध्यम से हम न केवल देश की समस्याओं का निराकरण कर रहे हैं बल्कि सफलता की ऐसी कहानियां लिख रहे हैं जो आधुनिकता के साथ मानवता को महत्व देने में विश्वास रखती हैं।
आकाश तिवारी
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