सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: CM नहीं, सलाखों के पीछे जाएंगी शशिकला

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तमिलनाडु की राजनीति में एक और भूचाल आ गया। अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला पर चल रहे आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें और दो अन्य को दोषी ठहराया। न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की पीठ ने यह फैसला सुनाया। शशिकला को चार साल की सजा सुनाई गई है। इस सजा के चलते वह 10 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। खबरों के मुताबिक, पुलिस गोल्डन बे रिजॉर्ट जाएगी। शशिकला यहीं आईएडीएमके विधायकों के साथ ठहरी हुई हैं। विधायकों को ओ पन्नीरसेल्वम के बगावती होने के बाद यहां लाया गया था।

17 दिसंबर 2014 को निचली अदालत ने जयललिता सहित शशिकला को चार साल की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले का बरकरार रखते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। शशिकला पर 66 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति का मामला था। यह मामला 20साल से भी पुराना है। इस मामले में भी जयललिता भी आरोपी थीं।  हालांकि उच्चतम न्यायालय ने जे जयललिता के पांच दिसंबर को हुए निधन को ध्यान में रखते हुए उनके खिलाफ दायर अपीलों पर कार्यवाही खत्म की। ट्रायल कोर्ट के आदेश के बाद शशिकला 27 दिन तक जेल में रही थीं।

इस मामले में कब क्या हुआ:

  • 1996 जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष सुब्रहमण्यम स्वामी ने एक मामला दर्ज कराया। उन्होंने जयललिता पर आरोप लगाया कि 1991 से 1996 तक तमिलनाडु का मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने 66.65 करोड़ की संपत्ति जमा की। यह उनके आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक है।
  • सात दिसंबर 1996 जयललिता को इस मामले में गिरफ्तार किया गया।
  • 1997 इस मामले में जयललिता और तीन अन्य के ख़िलाफ़ चेन्नई की एक अदालत में मुक़दमा शुरू हुआ।
  • चार जून 1997 चार्जशीट में इन लोगों पर आईपीसी की धारा 120 बी, 13 (2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) (ई) के तहत आरोप लगाए गए।
  • एक अक्तूबर 1997 तत्कालीन राज्यपाल एम फ़ातिमा बीबी की ओर से मुकदमा चलाने को दी गई मंजूरी की चुनौती देने वाली जयललिता की तीन याचिकाएं मद्रास हाई कोर्ट में खारिज।
  • अगस्त 2000 तक 250 गवाहों की गवाही हुई, केवल 10 बचे रहे।
  • मई 2001 विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक को स्पष्ट बहुमत मिला। जयललिता मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन उनकी नियुक्ति को चुनौती दी गई। इसका आधार बनाया गया अक्तूबर 2000 में तमिलनाडु स्माल इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (टीएएनएसआई) मामले में उन्हें दोषी ठहराया जाना। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति रद्द की।
  • 21 फरवरी 2002  जयललिता आंदीपट्टी विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में विजयी हुईं और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
  • 2003 द्रमुक महासचिव के अनबझगम ने इस मामले को कर्नाटक स्थानांतरित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। उनका कहना था कि जयललिता के मुख्यमंत्री रहते तमिलनाडु में इस मामले की निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है।