दलालों की हो गई बल्ले बल्ले

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संवाददाता भीलवाड़ा। रायला कस्बे में पंचायत के पास आबादी भूमि नहीं होने से रायला के बाशिंदे कृषि भूमि, गोचर भूमि और बिला नाम भूमि पर कब्जा जमा कर अवैध रूप से बस गए हैं।
पिछले 25 सालों में रायला की आबादी उद्योग धंधों कारखानों की वजह से आबादी मैं बेतहाशा वृद्धि हुई है और बेतहाशा अवैध कॉलोनियां बस चुकी है। जलदाय विभाग विद्युत विभाग और ग्राम पंचायत के जिम्मे काम भी हो गये लेकिन इन कॉलोनी वासियों के आबादी के पट्टे रजिस्ट्री आज दिन तक नहीं बने हैं। पिछली पंचायत के कार्यकाल में सरपंच ने सैकड़ों पट्टे जारी किए हैं लेकिन उनमें कई पट्टों का विवाद आज भी चल रहा है, जो बात अलग है। सरपंचों के चुनाव के वक्त प्रत्याशी ने लोगों को पट्टे बनवा कर देने का आश्वासन दिया था उस आश्वासन पर पट्टे कब जारी होंगे इसका पता अभी तक लोगों को नहीं पड़ा है। अवैध कॉलोनियों के लोगों का कहना है कि सरकार विभिन्न परियोजनाएं लेकर आती है जिनमें अवैध कॉलोनियों के नियमन का प्रावधान होने के बावजूद भी आज दिन तक लोगों के पट्टे रजिस्ट्री नहीं होने से परेशानी भोग रहे हैं ऐसी परेशानी भोगने वाले लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने वाले भूमि के दलाल विभिन्न जगहों पर कृषि भूमियों पर प्लाट काटकर बेच दिये है।
दलालों के हाथों से खरीद किए गए प्लाटों के खरीददारों को जब यह पत्ता लगता है कि कि खरीदे गये प्लाट आवासीय परिवर्तित नहीं है और ना ही इनकी रजिस्ट्री हो पाएगी ऐसी स्थिति में प्लाट खरीददार अपने आप को ठगा सा महसूस करते हैं।
ऐसी ही एक बानगी हाल ही में सामने आई है। जिसे जानना अति आवश्यक हो गया है!
नेशनल हाईवे पर लम्बियाँ कला – बेरा के बीच कृषि भूमि आराजी नंबर 2761/109, 2856/109 की कुल 6 बीघा 19 बिस्वा जमीन को 6 दलालों ने शिवम कॉलोनी के नाम से 170 प्लॉट काटकर 81000 रुपये प्रति प्लाट अग्रिम जमा कर लोगों को लॉटरी के साथ इनाम देने का झांसा देकर प्लाटों की लॉटरी खोल दी।
शेष रकम 25000 की चार किस्तों में लेने की बात कह कर रजिस्ट्री करवाने का वादा किया। उसमें यह शर्त भी रखी गई कि यदि कोई भी ग्राहक एकमुश्त ₹100000 दे कर भी रजिस्ट्री करवा सकेगा। लॉटरी खुलने के बाद कई सक्षम लोगों ने अपनी रजिस्ट्री करवाने के लिए दलालों से संपर्क किया।
दलालों ने अभी तक लोगों से पैसा लेकर रजिस्ट्री भी नहीं कराई।
ग्राहक दिनेश कुमार आर्य ने बताया कि शिवम कॉलोनी से मेरे और मिलने वालों के लिये 8 प्लॉट खरीदे थे। लॉटरी खुलने के बाद सारा पैसा देने के लिए तैयार हो गए थे लेकिन एजेंटों ने एक भी प्लाट की रजिस्ट्री नहीं करवाई। एजेंट ने 3 महीने में प्लाटों के रुपए वापस लौटाने की लिखा पढ़ी करके दे दी है जिसमें से 2 महीने गुजर चुके हैं।
एजेंटों ने प्लाटों की बिक्री करके अपनी आवश्यकताओं सुख सुविधाओं पर खर्च कर दिए हैं। कुछ ग्राहकों को पैसा वापसी के चेक जारी किये गये हैं ।
शिवम कॉलोनी के ग्राहकों को 3 महीने की अवधि पूर्ण होते ही एजेंटों से पैसों की मांग की जाएगी यदि वह पैसा नहीं दे पाए तो मामला पुलिस तक भी जाएगा।
एजेंटों के द्वारा किए गए वादों पर क्या क्रिया और प्रतिक्रिया होगी यह बात तो भविष्य के गर्भ में है । लेकिन यह बात भी तय है कि पराए पैसों से फिलहाल एजेंटों की मौज हो गई । ग्राहक ठगे से महसूस कर रहे हैं। और आदमी धोखा इसीलिए खाए जा रहा है क्योँकि ग्राम पंचायतों ने अवैध आवासीय कॉलोनियों के नियमन की कार्यवाही अब तक शुरु नहीँ की। जिसका फायदा एजेंट लोग उठाकर लोगों के साथ धोखा कर रहे हैं ऐसे कई मामले थानों में गए हुए।

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