28 सितंबर से बदल जाएंगे क्रिकेट के ये 15 नियम

दक्षिण अफ्रीका-बांग्लादेश और पाकिस्तान-श्रीलंका टेस्ट सीरीज के साथ लागू होंगे नए नियम

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नई दिल्ली: क्रिकेट का खेल अब दुनियाभर में बदला हुआ नजर आएगा। नए नियमों को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने हरी झंडी दे दी है। तीनों फॉर्मेट में ये बदलाव अब 28 सितंबर से लागू हो जाएंगे। इन बदलावों में बल्ले की साइज तय होना, रन आउट के नियम, उत्पाती खिलाड़ियों को मैच से बाहर करना और डीआरएस में संशोधन आदि महत्वपूर्ण हैं। ये नियम दक्षिण अफ्रीका-बांग्लादेश और पाकिस्तान-श्रीलंका के बीच होने वाली आगामी टेस्ट सीरीज से प्रभावी होंगे। भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज के बाकी मैच पुराने नियमों के तहत ही खेले जाएंगे।

आईसीसी ने अपने अधिकतर बदलाव मेरिलबोर्न क्रिकेट क्लब (एमसीसी) के नए कोड ऑफ लॉ के आधार पर किए हैं। आईसीसी के महाप्रबंधक (क्रिकेट) ज्योफ एर्लाडाइस ने कहा कि जो बदलाव किए गए हैं वह मुख्य रूप से एमसीसी के नए क्रिकेट नियमों का परिणाम हैं। नए नियमों को समझाने के लिए आईसीसी ने अंपायरों का वर्कशॉप भी कराया है। हर देश का क्रिकेट बोर्ड अपने यहां जूनियर से लेकर सीनियर तक सभी स्तर पर इन बदलावों का लागू करवाना सुनिश्चित करेगा।

अनुशासनहीनता
अंपायर अब उत्पात मचाने वाले खिलाड़ी को रेड या यलो कार्ड दिखा कर मैदान के बाहर कर सकते हैं। विपक्षी टीम को पेनल्टी रन भी दे सकते हैं। ये दंड लेवल-4 के अपराध के लिए दिए जाएंगे।

क्यों हुआ बदलाव: इंटरनेशनलक्रिकेट में ऐसा कम होता है लेकिन, लोअर लेवल के क्रिकेट में कई बार खिलाड़ी हद पार कर जाते हैं। निलंबन अस्थाई (कुछ समय के लिए) या स्थाई (पूरे मैच के लिए ) हो सकता है। अंपायर का फैसला तत्काल मान्य होगा।

डीआरएस में बदलाव 
अंपायर कॉल पर रिव्यू की संख्या कम नहीं होगी। टेस्ट में 80 ओवर के बाद फिर से नए रिव्यू नहीं मिलेंगे। टी 20 में लागू होगा डीआरएस।

क्यों हुआ बदलाव: अभी अंपायर कॉल के आधार पर डिसीजन पक्ष में नहीं आता है तो एक रिव्यू कम हो जाता है। अब ऐसा नहीं होगा। टेस्ट क्रिकेट में 80 ओवर के बाद पहले की तरह दो नए रिव्यू नहीं मिलेंगे। टी 20 क्रिकेट में भी डीआरएस लागू।

कैच के नियम में बदलाव 
कोई कैच तभी मान्य होगा जब उसे लपकने के लिए फील्डर बाउंड्री लाइन के अंदर से ही जंप ले।

क्यों हुआ बदलाव: कई बार फील्डर खुद को ज्यादा मौके देने के लिए पहले बाउंड्री के बाहर चला जाता था और वहां से जंप लेकर कैच लेते हुए बाउंड्री के अंदर जाता था। नए नियम के बाद ऐसा संभव नहीं होगा और बल्लेबाज को छह रन मिल जाएंगे।

रनआउट के नियम में बदलाव 
अबएक बार क्रीज में बैट या शरीर का कोई हिस्सा रख देने पर बल्लेबाज रन आउट या स्टंप आउट नहीं होगा भले ही गेंद लगते समय बैट हवा में क्यों हों।

क्यों हुआ बदलाव: पहलेकई बार ऐसे मौके आए जब बल्लेबाज क्रीज में पहुंच जाने के बाद बैट उठ जाने के कारण रन आउट हुआ। सचिन तेंडुलकर से लेकर कई खिलाड़ी शिकार हुए। पहले के नियम को बल्लेबाजों के लिए अनुचित माना गया।

गेंदबाज को राहत 
नो-बॉलपर बने बाई-लेग बाई गेंदबाज के खाते में नहीं

क्यों हुआ बदलाव: नोबॉल पर बल्लेबाज पहले ही आउट नहीं होता (रन आउट छोड़कर)। गेंदबाज को एक गेंद अतिरिक्त फेंकनी होती है। ऐसे में उस पर बनने वाले बाई-लेग बाई को अलग कर गेंदबाज को कुछ राहत दी गई है।

नो-बॉल के नियम में बदलाव 
एक से ज्यादा टप्पे पर गेंद बल्लेबाज तक पहुंची तो नो बॉल। पिच के बाहर गेंद गिरी तो नो-बॉल।

क्यों हुआ बदलाव: पहलेगेंदबाज से दो टप्पे पर गेंद पहुंचने को नो बॉल नहीं दिया जाता था। साथ ही पिच से बाहर गेंद गिरने पर डेड बॉल हो जाता था। क्रिकेट की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बदलाव।

हैंडल बॉल नियम खत्म, ऑब्सट्रक्टिंग फील्ड में शामिल 
अब हैंडल बॉल आउट होने को ऑब्स्ट्रक्टिंग फील्ड नियम में शामिल कर दिया गया है। पहले दोनों नियम अलग-अलग थे। दोनों नियम से कई खिलाड़ी अब तक आउट हुए हैं।

क्यों हुआ बदलाव: गेंदबाजभी फील्डिंग टीम का हिस्सा होता है और हैंडल बॉल भी एक तरह से ऑब्सट्रक्टिंग फील्ड के दायरे में आता है। इसलिए दोनों को मिलाकर एक नियम बना दिया गया।

ये बदलाव भी हुए: विकेटकीपर या फील्डर के हेलमेट से लगने के बाद डेड नहीं होगी बॉल 

  • किसी बल्लेबाज के आउट होने पर नए बल्लेबाज को क्रीज पर आने के लिए दो की जगह तीन मिनट मिलेंगे।
  • बैटसे लगने के बाद फील्डर या विकेटकीपर की हेलमेट से लगकर उछली गेंद को लपकने पर कैच मान्य होगा। पहले यह डेड करार दिया जाता था।
  • गिल्लियों को स्टंप से जोड़ा जाएगा ताकि वे छिटककर किसी को चोटिल करें। इस तरह कनेक्ट होंगी कि उन्हें डिसलॉज किया जा सके।
  • अगर पहले से निर्धारित किसी ब्रेक (लंच या टी) के तीन मिनट पहले विकेट गिर जाता है तो ब्रेक लिया जा सकेगा। अभी यह सीमा दो मिनट की है। एक मिनट का इजाफा।
  • कोई टी 20 मैच अगर 10 ओवर से कम का होता है तो एक गेंदबाज के कम से कम ओवर का कोटा दो से कम नहीं होगा। यानी छह ओवर के मैच में भी तीन गेंदबाज कम से कम दो-दो ओवर फेंक सकेगा।
  • टेस्ट में एक समय में चार की जगह छह खिलाड़ी सब्स्टीट्यूट किए जा सकेंगे।
  • कोई भी अपील तब तक वापस ली जा सकती है जब तक अगली गेंद फेंक दी जाए। इसी तरह अंपायर कोई भी निर्णय तब तक बदल सकता है जब तक अगली गेंद फेंक दी जाए। पहले बल्लेबाज के पवेलियन लौट जाने के बाद निर्णय नहीं बदले जा सकते थे। इससे विवादास्पद या गलत निर्णय को बदलने के लिए अधिक समय मिल सकेगा।

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