क्रांतिकारी नीतिश कुमार का फ्लोर टेस्ट आज, लालू की पार्टी करेगी हंगामा

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बिहार: महागठबंधन तोड़कर एनडीए के खेमे में पहुंचे नीतीश कुमार के लिए शुक्रवार का दिन खासा अहम है। 11 बजे नीतीश सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करना है। गुरुवार को नीतीश कुमार और सुशील मोदी ने शपथ ग्रहण किया था।

जेडीयू-बीजेपी हालांकि 243 सदस्यीय विधानसभा में 132 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं लेकिन पार्टी में नीतीश के फैसले के खिलाफ विरोध के सुर उठने के बाद सबकी निगाहें सीटों के गणित पर टिक गई है। इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस के 18 विधायक जल्द ही एनडीए के खेमे में आ सकते हैं। बिहार में कांग्रेस के 27 विधायक हैं।

ये है बिहार विधानसभा का समीकरण

243 सदस्यीय विधानसभा में नीतीश सरकार को बहुमत के लिए 122 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है। नीतीश के पास 71, बीजेपी और सहयोगियों के पास 58 सीटें हैं। कुल 129 हुए। 4 निर्दलीय विधायक हैं। एनडीए का दावा है कि उनके पक्ष में 132 सदस्य हैं। वहीं सबसे बड़े दल आरजेडी के खाते में 80, कांग्रेस के पास 27 और सीपीएम के पास 3 विधायक हैं।

एनडीए के साथ जाने के नीतीश के फैसले के खिलाफ उनकी पार्टी जेडीयू में बगावत के सुर खड़े हुए थे। गुरुवार को पार्टी के राज्यसभा सांसद अली अनवर ने कहा कि बीजेपी के साथ जाने की उनकी अंतरात्मा गवाही नहीं दे रही। पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव की नाराजगी की खबरें भी आईं। गुरुवार को शरद यादव कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मिले और शाम में जेडीयू के नाराज नेता दिल्ली में शरद यादव के घर आकर मिले।

बाद में अली अनवर ने कहा कि पार्टी में अभी बगावत जैसी कोई बात नहीं है। बीजेपी नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जेडीयू के नाराज नेता शरद यादव से फोन पर बात कर मनाने की कोशिश की। जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शरद यादव को नीतीश कुमार ने भी फोन कर समझाया कि लालू यादव से गठबंधन क्यों तोड़ना पड़ा?

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सुनने में आया है कि बीते रात एक तरफ जहां नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव को पूरे एपिसोड की पटकथा समझाई, वहीं दूसरी तरफ शरद यादव के दोस्त और मोदी कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री अरुण जेटली ने उन्हें बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के फायदे गिनाए। सूत्रों के मानें तो नीतीश और अरुण जेटली से बात करने के बाद शरद यादव संतुष्ट नजर आए।

राष्ट्रीय महागठबंधन के सपने को बड़ा झटका

बिहार की सियासत में हुए इस बड़े बदलाव का असर केंद्र की राजनीति में भी देखने को मिलेगा। 2019 के आम चुनाव में मोदी को टक्कर देने के लिए विपक्ष जिस राष्ट्रीय महागठबंधन की बात कर रहा था उसका सबसे विश्वसनीय चेहरा दूसरे खेमे में चला गया। अब विपक्ष को मोदी से टक्कर लेने के लिए अपनी रणनीति फिर से तैयार करनी होगी।

नीतीश कैबिनेट के संभावित मंत्री-

नीतीश कुमार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार भी करेंगे। नीतीश कैबिनेट में इन मंत्रियों को मिल सकती है जगह-

जेडीयू कोटे से-

-विजेंदर प्रसाद यादव

-ललन सिंह

-लेसी सिंह

-श्रवण कुमार

-जय कुमार सिंह

-खुर्शीद अहमद

बीजेपी कोटे से-

-नंदकिशोर यादव

-डॉ. प्रेम कुमार

-मंगल पांडेय

-रजनीश कुमार

-ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू

-रामप्रीत पासवान

-HAM के अध्यक्ष जीतनराम मांझी भी मंत्री बन सकते है.

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उल्‍लेखनीय है कि नीतीश कुमार ने बुधवार की शाम मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके साथ ही 20 महीने पुरानी महागठबंधन सरकार अचानक गिर गई. भाजपा के समर्थन से गुरुवार को नीतीश कुमार ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वह छठी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं। वहीं, भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने उप मुख्‍यमंत्री शपथ ली।

नीतीश के इस्तीफे का कारण राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी के साथ नीतीश की तनातनी को माना जा रहा है। जदयू का कहना है कि तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, लेकिन नीतीश के कहने के बावजूद उन्होंने इन आरोपों का तथ्यात्मक जवाब नहीं दिया। वहीं, लालू का कहना है कि आरोप निराधार है, तेजस्वी सीबीआई को जवाब देंगे, नीतीश सीबीआई के निदेशक नहीं हैं। जबकि नीतीश का कहना है कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर इस्तीफा दिया।

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