पाप कर्मो का क्षय करने के लिए धर्म को अपनाना होगा: मुनि अरविन्द

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संवाददाता भीलवाड़ा। पाप कर्मा को क्षय करने के लिए धर्म करो पनाना आवश्यक है तथा धर्म को समजने के लिए संतों का सानिध्य जरूरी है। हर वस्तु में अच्छाई और बुराई दोनों विद्यमान हैं अच्छाई में से बुराई ग्रहण करने वाला ज्ञानी होकर भी अज्ञानी है। जबकि व्यक्ति को बुराइयों में से अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए। उक्त विचार मुख्यालय स्थित शीतल भवन में धर्म चर्चा के दौरान संत अरविन्द मुनि ने कहे। उन्होने कहा कि वस्तु अच्छी और बुरी नहीं होती है उपयोग करने वाले पर निर्भर है शक्कर भी जहर का काम कर सकती है और जहर भी दवाई से अमृत का काम कर सकता है। जिसने दृष्टि बदली तो सृष्टि बदल जाएगी तथा कदम-कदम पर जीवन तीर्थ हो जाएगा। धर्म चर्चा के दौरान श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।

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