खुलासा: पीएम मोदी से पहले साल 2002 में अटल सरकार ने करवाई थी सर्जिकल स्ट्राइक!

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नई दिल्ली: साल 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान भारतीय सेना और एयरफोर्स ने मिलकर पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसका खुलासा उस वक्त ऑपरेशन में मौजूद फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजीव मिश्रा ने किया। उन्होंने बताया इस मिशन को पूरी तरह गुु्प्त रखा गया था और दो अन्य लोग इसमें शामिल थे।

इसके आगे उन्होंने कहा, उस समय जॉर्ड फर्नांडिज रक्षा मंत्री थे। ऑपरेशन 2002 की मई और जून के बीच हुआ। उस वक्त दोनों देशों के बीच कालूचक नरसंहार की वजह से तनाव था। रूस के राष्ट्रपति वल्दामीर पुतिन ने दोनों देशों को समझाने की नाकाम कोशिश कर चुके थे। लेकिन कोई हल नहीं निकल सका।

huffingtonpost की खबर के मुताबिक, 31 जुलाई 2002 को 2 बजे सुबह का वक्त था, 29 साल के फाइटर पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजीव मिश्रा को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन स्थित उनके क्वार्टर से उठाया गया। मिश्रा एयरफोर्स के जगुआर फाइटर जेट विमान को उड़ाया करते थे लेकिन उस रात उन्हें विमान उड़ाने के लिए नहीं जगाया गया था। उस दौरान भारतीय वायुसेना को इजराइल से लेजर गाइडेंस सिस्टम मिला था और मिश्रा इस टैकनोलोजी से वाकिफ थे।

मिश्रा पहले भारतीय थे जिन्हें इस तकनीक का इस्तेमाल करने का मौका मिल रहा था। उडऩे से पहले मिश्रा और उनके 2 साथियों को एयरफोर्स स्ट्राइक सेल ने विमान के अंदर बताया था कि उन्हें पाकिस्तान में घुसकर एलओसी के पार कई खास जगहों पर इस तकनीक का इस्तेमाल करना है। इससे पहले एयरफोर्स ने कभी इस तरह का अभियान नहीं किया था।

पहले घुसकर हमले की थी प्लानिंग:

शुरुआत में प्लानिंग थी कि भारतीय सेना के जवान पाकिस्तान में घुसकर हमला करेंगे। लेकिन बाद में जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन जो कि सेना प्रमुख थे उनके कहने पर प्लान बदला गया। फिर प्लान बना कि पाकिस्तान पर हमला जमीनी नहीं होगा। बल्कि इंडियन एयरफोर्स की सहायता से किया जाएगा।

Surgical Strike

यह भी तय किया गया कि उस हमले के बारे में किसी को बताया नहीं जाएगा और उसके बारे में कोई बात नहीं करेगा। मिशन की तैयारियां श्रीनगर में हुई थीं। वेस्ट बॉर्डर पर मौजूद सभी एयर बेस को पाकिस्तान की बदले की कार्रवाई के लिए तैयार रहने को कहा गया था। टीम को एक अगस्त को श्रीनगर से मिशन के लिए भेजा गया था।

पाकिस्तान के बंकरों को उड़ाया

सबसे पहले हेलिकॉप्टर की मदद से दो सैनिकों को श्रीनगर से बॉर्डर भेजा गया। वहां से वे पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हुए। उनका काम पाकिस्तान के बंकरों की लोकेशन एयरफोर्स तक पहुंचाने का था। बड़ी मुश्किलों से जवानों ने वह लोकेशन लेजर गाइडेंस सिस्टम की मदद से एयरफोर्स तक पहुंचाई। इसके बाद मिश्रा और उनकी टीम ने हमला करके कुपवाड़ा सेक्टर में मौजूद पाकिस्तान के बंकरो को उड़ा दिया।

हालांकि, उसमें पाकिस्तान के कितने लोगों को नुकसान पहुंचा यह नहीं पता। 2002 के उस हमले का पाकिस्तान ने कभी बदला लेने का नहीं सोचा। अटल सरकार उस ऑपरेशन को गुप्त रखने में कामयाब हो गई थी और वह इस बात से खुश भी थी। खबर के मुताबिक, एयर फोर्स और मिश्रा ने इस बारे में बात करने से मना कर दिया। मिश्रा अब रिटायर हो चुके हैं और कमर्शल पायलेट बन गए हैं।

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