हनुमानगढ़। जंक्शन के सेक्टर-6 स्थित शिव शक्ति सिद्ध पीठ कमल कल्याण आश्रम में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक वातावरण के बीच भव्य रूप से संपन्न हो रहा है। कथा महोत्सव के छठे दिन की शुरुआत मुख्य यजमान मनोज बंसल द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना के साथ की गई। कथावाचक आचार्य भानुदेव ओझा ने कंस वध व रुकमणी विवाह के प्रसंगों का चित्रण किया। ओझा ने बताया कि भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक में अवतरित होने के प्रमुख कारण थे, जिसमें एक कारण कंस वध भी था। कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राह त्राह जब करने लगी तब लोग भगवान से गुहार लगाने लगे। तब कृष्ण अवतरित हुए। कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है।
इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मरवाने का प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा। 11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अपने प्रमुख अकरुर के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने कृष्ण, बलराम को मथुरा बुलवाकर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचलवाकर मारने का प्रयास किया, लेकिन वह सभी श्रीकृष्ण और बलराम के हाथों मारे गए और अंत में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी को जहां कारागार से मुक्त कराया, वही कंस के द्वारा अपने पिता उग्रसेन महाराज को भी बंदी बनाकर कारागार में रखा था, उन्हें भी श्रीकृष्ण ने मुक्त कराकर मथुरा के सिंहासन पर बैठाया। उन्होंने बताया कि रुकमणी जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है।
वह विदर्भ साम्राज्य की पुत्री थी, जो विष्णु रूपी श्रीकृष्ण से विवाह करने को इच्छुक थी। लेकिन रुकमणी जी के पिता व भाई इससे सहमत नहीं थे, जिसके चलते उन्होंने रुकमणी के विवाह में जरासंध और शिशुपाल को भी विवाह के लिए आमंत्रित किया था, जैसे ही यह खबर रुकमणी को पता चली तो उन्होंने दूत के माध्यम से अपने दिल की बात श्रीकृष्ण तक पहुंचाई और काफी संघर्ष हुआ युद्ध के बाद अंततः श्री कृष्ण रुकमणी से विवाह करने में सफल रहे। आयोजन समिति के सदस्य भवानी शंकर शर्मा ने जानकारी दी कि यह कथा का समापन कल होगा, जिसमे कृष्ण सुदामा की कथा का वर्णन होगा। उन्होंने समस्त क्षेत्रवासियों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर इस धार्मिक आयोजन का लाभ उठाएं और आत्मिक शांति प्राप्त करें।
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