National Herald: क्या है नेशनल हेराल्ड केस, क्यों हो सकती है राहुल और सोनियां गांधी को जेल

नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों जमानत पर बाहर हैं। ऐसे में पूछताछ के दौरान अगर ईडी को लगता है कि राहुल जांच में सहयोग नहीं दे रहे हैं तो वह उन्हें हिरासत में ले सकती है।

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नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज नेशनल हेराल्ड के मामले में (National Herald Case) ईडी के सामने पेश हुए हैं। देशभर में कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं। हालांकि अभी राहुल गांधी से पहले चरण की पूछताछ हुई है। 3 घंटे बाद उन्हें लंच ब्रेक दिया है। राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ अपनी मां सोनिया गांधी से मिलने गंगाराम अस्पताल गए हैं। बता दें, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को अब 23 जून को पेश होना है। सोनिया अभी कोरोना संक्रमित हैं और अस्पताल में भर्ती हैं।

राहुल गांधी से ED ने पूछे कुछ सवाल

  • आपकी यंग इंडिया में क्या भागीदारी थी?
  • आपने यंग इंडिया के शेयर अपने नाम क्यों किए?
  • आपकी यंग इंडिया में कितने प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
  • आपके अलावा और कौन-कौन यंग इंडिया में शेयर होल्डर हैं?

देशभर में कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं। विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। ऐसे में आइये जानते हैं आखिर ये नेशनल हेराल्ड का मामला क्या है?

देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने 20 नवंबर 1937 को एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL का गठन किया था। इसका उद्देश्य अलग-अलग भाषाओं में समाचार पत्रों को प्रकाशित करना था। तब AJL के अंतर्गत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज समाचार पत्र प्रकाशित हुए।

भले ही AJL के गठन में पं. जवाहर लाल नेहरू की भूमिका थी, लेकिन इसपर मालिकाना हक कभी भी उनका नहीं रहा। क्योंकि, इस कंपनी को 5000 स्वतंत्रता सेनानी सपोर्ट कर रहे थे और वही इसके शेयर होल्डर भी थे। 90 के दशक में ये अखबार घाटे में आने लगे। साल 2008 तक AJL पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया। तब AJL ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा। अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद AJL प्रॉपर्टी बिजनेस में उतरी।

विवाद कब शुरू हुआ?
2010 में AJL के 1057 शेयरधारक थे। घाटा होने पर इसकी होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड यानी YIL को ट्रांसफर कर दी गई। यंग इंडिया लिमिटेड की स्थापना उसी वर्ष यानी 2010 में हुई थी। इसमें तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के महासचिव राहुल गांधी डायरेक्टर के रूप में शामिल हुए। कंपनी में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के पास रखी गई। शेष 24 फीसदी कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस (दोनों का निधन हो चुका है) के पास थी।

शेयर ट्रांसफर होते ही AJL के शेयर होल्डर्स सामने आ गए। पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण, इलाहाबाद व मद्रास उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू सहित कई शेयरधारकों ने आरोप लगाया कि जब YIL ने AJL का ‘अधिग्रहण’ किया था तब उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था। यही नहीं, शेयर ट्रांसफर करने से पहले शेयर होल्डर्स से सहमति भी नहीं ली गई। बता दें कि शांति भूषण और मार्कंडेय काटजू के पिता के नाम पर AJL में शेयर था।

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दर्ज की थी शिकायत
2012 में भाजपा के नेता और देश के नामी वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा के खिलाफ मामला दर्ज कराया। तब केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी।

सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि YIL ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए “गलत” तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को “अधिग्रहित” किया।

स्वामी ने यह भी आरोप लगाया कि YIL ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो AJL पर कांग्रेस पार्टी का बकाया था। यह राशि पहले अखबार शुरू करने के लिए कर्ज के रूप में दी गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि AJL को दिया गया कर्ज “अवैध” था, क्योंकि यह पार्टी के फंड से लिया गया था।

क्यों उठ रही राहुल गांधी के गिरफ्तार होने की खबरें-
नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों जमानत पर बाहर हैं। ऐसे में पूछताछ के दौरान अगर ईडी को लगता है कि राहुल जांच में सहयोग नहीं दे रहे हैं तो वह उन्हें हिरासत में ले सकती है। इसके बाद राहुल को कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां से तय होगा कि उन्हें ईडी की कस्टडी में भेजना है या न्यायिक हिरासत में।

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