2019 लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने स्वीकारा पैसे और नौकरी के बदले दिया वोट-रिपोर्ट

पैसों के अलावा विभिन्न तरह की योजनाओं और वादों से भी मतदाताओं को लुभाया जाता रहा है। 10 फीसदी मतदाताओं ने यह माना कि उनके प्रत्याशी ने सत्ता में वापस आने पर उन्हें नौकरी देने का वादा किया।

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जयपुर: थिंक टैंक सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (CMS) की हाल ही में हुए आम चुनावों में चुनावी खर्चे को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2019 का लोकसभा चुनाव सबसे मंहगे चुनावों में से एक रहा। रिपोर्ट के अनुसार, 2019 के आम चुनाव में औसतन प्रत्येक लोकसभा सीट पर सौ करोड़ रुपये के करीब खर्चे गए, कुल मिलाकर एक वोट पर लगभग 700 रुपये खर्च किए गए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, सीधे मतदाताओं को 12-15 हजार करोड़ रुपये दिए गए, वहीं चुनाव प्रचार पर 20-से 25 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए, जो कुल व्यय का 35 फीसदी था। रिपोर्ट में भी बताया गया है कि साल 2019 में मतदाताओं की संख्या 90.2 करोड़ बढ़ी, वहीं पोलिंग बूथ की संख्या 10 लाख से कुछ अधिक की बढ़त हुई।  हालांकि इसके बावजूद कुल मत प्रतिशत में बहुत कम बढ़ोतरी देखी गई।

कौन सी पार्टी सबसे आगे-
रिपोर्ट में बताया गया है कि चुनावी खर्च में बाकी दलों की तुलना में सत्तारूढ़ दल सबसे आगे रहे हैं। जहां 1998 में भाजपा ने कुल व्यय का 20 फीसदी खर्चा था, वहीं 2019 में यह आंकड़ा 45 से 55 फीसदी के बीच का है। 2009 में कांग्रेस ने जहां कुल खर्च का 40 प्रतिशत खर्च किया था, 2019 में यह 15-20 फीसदी रहा। (रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

शराब, सोने और नकदी की हुई बढ़त-
इसके साथ ही चुनाव अभियान के दौरान जब्त हुई नकदी, शराब, सोने आदि में भी बढ़त देखी गई, 2014 लोकसभा चुनाव की तुलना में 2019 में जब्त हुई संपत्ति/शराब आदि का मूल्य दोगुना रहा। चुनाव आयोग के मुताबिक, 19 मई 2019 तक कुल 3500 करोड़ को नकदी/सामान जब्त हुए, जिसमें 13,000 करोड़ रुपये की ड्रग्स, 839 करोड़ रुपये की नकदी, 294 करोड़ रुपये की शराब, 986 करोड़ रुपये का सोना-चांदी और 58 करोड़ रुपये के अन्य सामान शामिल थे।

प्रत्याशी ने दिया नौकरी का वादा-
रिपोर्ट के मुताबिक, 10 से 12 प्रतिशत मतदाताओं ने स्वीकारा कि उन्हें सीधे नकद दिया गया, वहीं दो-तिहाई का कहना था कि उनके आस-पास के कई लोगों को वोट के बदले पैसे मिले। पैसों के अलावा विभिन्न तरह की योजनाओं और वादों से भी मतदाताओं को लुभाया जाता रहा है। 10 फीसदी मतदाताओं ने यह माना कि उनके प्रत्याशी ने सत्ता में वापस आने पर उन्हें नौकरी देने का वादा किया।

आपको बता दें, थिंक टैंक सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज CMS की यह रिपोर्ट सेकेंडरी डाटा, मतदाताओं से बातचीत, खबरों और बीते सालों के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है।

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