‘आधार’ को लेकर कन्फ्यूजन खत्म, जानिए अब कहां जरूरी और कहां नहीं जरूरी है

सुप्रीम कोर्ट ने आधार अधिनियम की धारा 57 हटा दी। दूसरी तरफ अब कोर्ट की अनुमति के बिना आधार का बायोमेट्रिक डेटा किसी एजेंसी को नहीं दिया जाएगा

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नई दिल्ली: आधार कार्ड पर लंबे समय से चला आ रहा कन्फ्यूजन आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद पूरी तरह से खत्म हो गया है। सर्वोच्च अदालत (सुप्रीम) ने बुधवार को आधार पर फैसला सुनाते हुए इसे संवैधानिक रूप से वैध तो माना, लेकिन साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि इसे हर किसी से साझा करना जरूरी नहीं है। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह माना कि आधार आम आदमी की पहचान है और कहा कि आधार की वजह से निजता हनन के सबूत नहीं मिले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आधार की अनिवार्यता पर फैसला सुनाते हुए आधार की संवैधानिकता कुछ बदलावों के साथ बरकरार रखा।

आपको बता दें कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 38 दिनों तक चली लंबी सुनवाई के बाद 10 मई को मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तास्वामी की याचिका सहित कुल 31 याचिकाएं दायर की गयी थीं। आइये जानते हैं अब आधार कहां और कहां नहीं जरूरी है…

आधार कार्ड कहां जरूरी है
पैन कार्ड बनाने के लिए आधार कार्ड जरूरी होगा
आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए भी आधार नंबर जरूरी होगा।
सरकार की लाभकारी योजनाओं और सब्सिडी का लाभ पाने के लिए भी आधार कार्ड अनिवार्य होगा।

कहां नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि मोबाइल सिम के लिए कंपनी आपसे आधार नहीं मांग सकती।
बैंक भी अकाउंट खोलने के लिए आधार नंबर की मांग नहीं कर सकते हैं।
 स्कूल ऐडमिशन के वक्त बच्चे का आधार नंबर नहीं मांग सकते।
सीबीएसई, नीट और यूजीसी की परीक्षाओं के लिए भी आधार जरूरी नहीं। बता दें कि इससे पहले इसके लिए आधार मांगा जा रहा था।
सीबीएसई, बोर्ड एग्जाम में शामिल होने के लिए छात्रों से आधार की मांग नहीं की जा सकती है।
14 साल से कम के बच्चों के पास आधार नहीं होने पर उसे केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा दी जाने वाली जरूरी सेवाओं से वंचित नही किया जा सकता है।
टेलिकॉम कंपनियां, ई-कॉमर्स फर्म, प्राइवेट बैंक और अन्य इस तरह के संस्थान आधार की मांग नहीं कर सकते हैं।

बता दें सुप्रीम कोर्ट ने आधार अधिनियम की धारा 57 हटा दी। दूसरी तरफ अब कोर्ट की अनुमति के बिना आधार का बायोमेट्रिक डेटा किसी एजेंसी को नहीं दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा मामलों में एजेंसियां आधार मांग सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार को रेगुलर बिल की तरह पारित किया जा सकता है। यदि आपको याद होतो साल 2016 में इसे मनी बिल के तौर पर पारित किया गया था।

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