कोरोना ने बदला गर्म जलवायु देशों में रंग, वैज्ञानिकों ने दी दुनिया को ये बड़ी चेतावनी

जर्नल साइंस में प्रकाशित हुए शोध में कहा गया है कि सिर्फ एक बार लॉकडाउन करने से महामारी पर नियंत्रण पाना मुश्किल है। रोकथाम के उपायों के बिना कोरोना वायरस की दूसरी लहर ज्यादा भयावह हो सकती है।

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विश्व डेस्क: चीन के वुहान से दुनियाभर में फैला कोरोना वायरस (COVID-19) का असर किसी भी तरह से फिलहाल कम होता नजर नहीं आ रहा। हालांकि कोरोनावायरस जब चीन से शुरू हुआ और इटली, स्पेन, अमेरिका जैसे ठंढे देशों में पहुंचा तो कई डाक्टरों ने मीडिया में ये दावा किया कि कोरोना गर्म जलवायु वाले देशों में इसका असर कम दिखेगा। लेकिन हाल ही में डब्लयूएचओ ने ये साफ कर दिया है कि कोरोना पर किसी भी मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

ब्रिटिश वैज्ञानिक सारा जार्विस कहती हैं कि यह सब बकवास है कि गर्मी में कोरोनावायरस खत्म हो जाएगा। 2002 के नवंबर में सार्स महामारी शुरू हुई थी, जो जुलाई में खत्म हो गई थी। लेकिन ये तापमान बदलने की वजह से हुआ या किसी और अन्य वजह से ये बताना मुश्किल है।’

ये वाकिय मुश्किल है कि कोरोना का असर कैस और कब तक कम किया जा सकता है। कोरोना ठंडे देशों से चलकर अब गर्म देशों में पहुंच चुका है और यहां मौत का आंकड़ा भले ही अभी ठंडे देशों के मुकाबले कम हो लेकिन पिछले 12 दिन से इसके ट्रेंड में थोड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। कोरोना ठंडे देशों के साथ अब गर्म जलवायु वाले देशों में भी दोगुना तेजी से फैल रहा है।

लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व एशिया जहां गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है और औसत तापमान 20 डिग्री से लेकर 40 डिग्री तक बना हुआ है। इसके बावजूद यहां कुछ देशों में कोरोना के केस ढाई दिन, चार दिन और सात दिन में ही दोगुना हो जा रहे हैं। भारत में एक अप्रैल से 12 अप्रैल तक औसत तापमान 32 डिग्री रहा है, यहां इन 12 दिनों में 7800 से ज्यादा केस बढ़े हैं। इसी तरह ब्राजील में एक से 12 अप्रैल तक औसत तापमान 26 डिग्री रहा है, यहां 12 दिनों में 16 हजार से ज्यादा केस बढ़े हैं।

ब्राजील कोरोना केस में सबसे आगे-
सबसे ज्यादा 21,042 कोरोना केस ब्राजील में आए हैं। सबसे ज्यादा 1144 मौतें भी यहीं हुई हैं। यहां हर छह दिन में दोगुना केस बढ़ रहे हैं। दूसरे नंबर पर इक्वाडोर है, यहां अब तक 7257 केस आए हैं। 315 मौतें हुई हैं। यहां हर पांच दिन बाद दोगुना केस बढ़ रहे हैं। लैटिन अमेरिकी ज्यादातर देशों में अभी दिन का तापमान अधिकतम 33 डिग्री और रात में 23 डिग्री दर्ज किया जा रहा है।

अफ्रीका महाद्वीप के ज्यादातर देशों में अप्रैल के पहले दो हफ्तों में तापमान 17 डिग्री से लेकर 45 डिग्री तक दर्ज किया गया है। दुनिया के अन्य महाद्वीपों की तुलना में अफ्रीका महाद्वीप में अब तक सबसे कम कोरोनावायरस के केस आए हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों में यहां भी कोरोना मरीजों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। यहां सबसे ज्यादा 2028 केस दक्षिण अफ्रीका में आए हैं। सबसे ज्यादा मौतें 275 मौतें अल्जीरिया में हुई हैं।

वैज्ञानिको ने दुनिया को चेताया-
जर्नल साइंस में प्रकाशित हुए शोध में कहा गया है कि सिर्फ एक बार लॉकडाउन करने से महामारी पर नियंत्रण पाना मुश्किल है। रोकथाम के उपायों के बिना कोरोना वायरस की दूसरी लहर ज्यादा भयावह हो सकती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर अभी कई रहस्य सुलझे नहीं हैं, ऐसे में बहुत लंबे वक्त के लिए इसकी सटीक भविष्यवाणी कर पाना मुश्किल है।

अगर लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता स्थायी हो जाती है तो कोरोना वायरस पांच सालों या उससे ज्यादा लंबे समय के लिए गायब हो जाएगा। अगर लोगों की इम्युनिटी सिर्फ एक साल तक कायम रहती है तो बाकी वायरसों की तरह सालाना तौर पर इस महामारी की वापसी हो सकती है। महामारी विशेषज्ञ मार्क का कहना है कि वर्तमान में कोरोना वायरस से संक्रमण की स्थिति को देखते हुए 2020 की गर्मी तक महामारी के अंत की भविष्यवाणी करना सही नहीं है।

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