कौन है अग्निवीर अमृतपाल सिंह, क्यों बढ़ा सोशल मीडिया पर विवाद? देखें ये वीडियो

पिछले 2 दिनों से ये मामला काफी चर्चा में है। मानसा के गांव कोटली के अग्निवीर अमृतपाल सिंह के अंतिम संस्कार के दौरान भारतीय सेना के गार्ड ऑफ ऑनर न दिए जाने को लेकर विभिन्न दलों के नेता सरकार पर निशाना साध रहे हैं ।

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पंजाब के मानसा जिले के गांव कोटली कलां 19 साल के अमृतपाल सिंह अग्निवीर (Amritpal Singh) के तौर पर सेना में भर्ती हुए थे। उनकी जम्मू-कश्मीर के राजौरी में तैनाती थी। 11 अक्टूबर को उनको खुद की राइफल से गोली लग गई और मौत हो गई। अब अग्निवीर अमृतपाल सिंह के अंतिम संस्कार के दौरान भारतीय सेवा द्वारा सलामी न दिए जाने को लेकर बवाल मचा हुआ है।

जहां अमृतपाल सिंह के परिवार वाले भारतीय सेना पर सवाल उठा रहे हैं तो विपक्ष मोदी सरकार को घेरने में लगा है। ऐसे में अमृतपाल सिंह का केस सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है। ऐसे में अमृतपाल सिंह को गूगल पर सर्च किया जा रहा है। हम बताते हैं कि अमृतपाल सिंह का केस इतना ट्रेंड में क्यों आया।

दरअसल, अमृतपाल सिंह के पिता ने सवाल उठाया है। उनके फौजी बेटे को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया। अमृतपाल के निधन के बाद उनकी पार्थिव देह सेना के वाहन के बजाय प्राइवेट एंबुलेंस में लाई गई। यहां सेना के 2 जवान शव को छोड़ने के लिए आए थे। अमृतपाल का शव छोड़ने के बाद वह वहीं से चले गए। परिवार ने उनसे पूछा कि अमृतपाल को कोई सैन्य सम्मान नहीं मिलेगा? इस पर उनका कहना था कि अग्निवीर स्कीम के तहत भर्ती फौजी को शहीद का दर्जा नहीं है, इसलिए सैन्य सम्मान नहीं मिलेगा।

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उन्होंने कहा कि मैंने अपना बेटा अमृतपाल सिंह भारतीय सेना को दिया था, हम नहीं जानते कि अग्निवीर क्या है। हमने अपने बेटे को सेना में भर्ती कराया था। जब सेना ने उसे वर्दी पहनाकर अपना बना लिया तो हमने अपना बेटा सेना को दे दिया लेकिन अब सेना कह रही है कि उसने आत्महत्या कर ली है। लेकिन मेरे बेटे को संस्कार के समय सलामी ना देने के कारण हम निराश हैं।

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वहीं भारत सरकार और भारतीय सेना से भी अपील की है कि उनके बेटे को शहीद माना जाए। हमने अपने बेटे को शहीद माना है। वहीं उन्होंने पंजाब सरकार द्वारा अमृतपाल सिंह को शहीद का दर्जा देने पर भी पंजाब सरकार का धन्यवाद किया है।

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शुरुआती जांच में क्या आया?
अमृतपाल सिंह की ड्यूटी पुंछ जिले के मेंढर उपमंडल के मनकोट इलाके में LoC के पास थी। ड्यूटी के दौरान उनके माथे पर गोली लगी। अमृतपाल को गोली लगने से 2 दिन पहले ही सेना ने 2 आतंकियों को मारा था। शुरुआती जांच में यही माना जा रहा था कि अमृतपाल को आतंकियों की गोली लगी थी।

सेना ने अमृतपाल सिंह के निधन पर क्या कहा?
भारतीय सेना ने रविवार 15 अक्टूबर को देर रात एक बयान जारी किया, जिसमें लिखा कि अग्निवीर अमृतपाल ने सुसाइड किया था, इसलिए नियमों के मुताबिक उसे गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया। सेना के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल X पर एक पोस्ट की गई। इसमें लिखा है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। अमृतपाल के अंतिम संस्कार में गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया, क्योंकि खुद को पहुंचाई गई चोटों से होने वाली मौत के मामले में यह सम्मान नहीं दिया जाता है।

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क्या है सेना का नियम
बयान में यह भी कहा गया है कि किसी सैनिक की आत्महत्या या खुद से लगी चोट के कारण होने वाली मौत की घटना होने, सेना में एंट्री के तरीके की परवाह किए बिना सैनिक को उचित सम्मान दिया जाता है। हालांकि, ऐसे मामले 1967 के सेना आदेश के अनुसार सैन्य अंत्येष्टि के हकदार नहीं हैं। इस नीति का बिना किसी भेदभाव के लगातार पालन किया जा रहा है।

सेना के जारी किए आंकड़ों के अनुसार 2001 के बाद से हर साल 100-140 सैनिकों की मौत हुई है। ये मौतें आत्महत्या/खुद को लगी चोटों के कारण हुईं हैं। इसी तरह के मामलों में सैन्य अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं दी गई। अंतिम संस्कार के लिए वित्तीय सहायता के अलावा मृतक के पद के अनुसार मदद की जाती है।

 

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बता दें, पिछले 2 दिनों से ये मामला काफी चर्चा में है। मानसा के गांव कोटली के अग्निवीर अमृतपाल सिंह के अंतिम संस्कार के दौरान भारतीय सेना के गार्ड ऑफ ऑनर न दिए जाने को लेकर विभिन्न दलों के नेता सरकार पर निशाना साध रहे हैं । अग्निवीर अमृतपाल सिंह के पिता ने भी इसे लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मैंने अपना बेटा अमृतपाल सिंह भारतीय सेना को दिया था, हम नहीं जानते कि अग्निवीर क्या है।

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