फिर से मोदी सरकार को घेरने की तैयारी के साथ देशभर से दिल्ली आ रहे हैं किसान, ये हैं मांगे

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नई दिल्ली: देश के 11 राज्यों के किसान और खेतिहर मजदूर अपनी मांगों को लेकर देश की राजधानी दिल्ली में एक बार फिर जुट रहे हैं। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर देशभर के दो सौ से ज्यादा किसान-मजदूर संगठन के बैनर तले हजारों किसान 28 नवंबर की शाम से दिल्ली में दाखिल होंगे।

आपको बता दें, ये कोई पहली बार नहीं है कि किसान दिल्ली आ रहे हैं। इसी साल 2 अक्टूबर को जब किसानों का जत्था दिल्ली में प्रवेश करना चाह रहा था तो दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा का हवाला देते हुए बॉर्डर सील करके किसानों को दिल्ली के बाहर ही रोक दिया था। इस दौरान प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी।

सोशल मीडिया हुआ मीडिया से तेज-
सोशल मीडिया मीडिया चैनलों से भी ज्यादा तेज काम करता है। शायद इसी वजह से इस बार किसानों के मार्च के लिए भी सोशल मीडिया पर खास तैयारी दिख रही है। मार्च से जुड़े किसी भी तरह के अपडेट जानने या देने के लिए #dillichalo और #kisanMuktiMarch हैशटैग जारी किए गए हैं। तो इसका मतलब ये है कि इस मार्च से जुड़ी किसी भी अपडेट्स के लिए आप इन हैशटैग्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।

गूगल मैप ने जारी की तस्वीर-
इंटरनेट की दुनिया में सबकुछ कितना आसान हो गया है इस चीज को तो आप महसूस कर ही चुकेें होंगे। दरअसल, हम आपको ये बताना चाह रहे हैं कि किसान मार्च को लेकर गूगल मैप लोगों को ये जानकारी दे रहा है कि किसान किस किस जगह से आ रहे हैं। इसकी मैपिंग गूगस ने जारी की है।

किसानों की मांगे-
‘किसान मुक्ति यात्रा’ के आयोजकों ने इसी साल 19 सितंबर को देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम एक खुला पत्र लिखा था जिसमें किसानों की मांगों के बारे में विस्तार से जिक्र है. इस पत्र में लिखा गया है, ‘देश भर के लगभग 200 किसान संगठनों तथा हमारे देश के लाखों किसानों, मजदूरों और खेत मजदूरों का प्रतिनिधित्व कर रही अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति जो कि उनके रोजगार को बचाने की लड़ाई लड़ रही है,  दिल्ली तक तीन दिवसीय किसान मुक्ति मार्च आयोजित कर रही है. हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप उनकी 21 दिनों का संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग स्वीकाए करने का कष्ट करें. यह सत्र पूरी तरह से कृषि संकट तथा उससे संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए होगा।’ जिसमें खेती की स्थिति, जल संकट, भूमिहीन मजदूरों के अधिकारों, कर्ज संकट आदि मुद्दों पर बात हो सकेंगी।

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