निर्भया को इंसाफ: सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखी सजा, दोषियों को होगी फांसी

साल 2012 में 16 दिसंबर की रात को एक चलती बस में जघन्य तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था।

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नई दिल्ली: पूरे देश और सिस्टम को हिला देने वाले निर्भया गैंगरेप केस में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए चारों दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए निर्भया कांड को ‘सदमे की सुनामी’ बताया। कोर्ट का फैसला आते ही कोर्ट रूम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

चारों दोषियों ने फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम में अर्जी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च को सुनवाई के बाद इस केस में अपना फैसला सुरक्षित रखा। 5 मई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपना फैसला पढ़ते हुए चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा।

मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को पैरामेडिकल की छात्रा की हत्या और सामूहिक बलात्कार का दोषी पाया गया था। गैंगरेप के दौरान की हिंसा के कारण छात्रा की बाद में मौत हो गई थी।

सितंबर 2013 में चारों दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई थी। इसे दिल्ली हाइकोर्ट ने 2014 में बरकरार रखा। इस मामले में 6 लोगों पर आरोप लगाए गए थे। एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल के अंदर ही फांसी लगा ली थी। जबकि एक और दोषी नाबालिग होने के कारण अपनी तीन साल की सुधारगृह की सजा पूरी कर रिहा हो चुका है।

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निर्भया के दोस्त की पिटाई
दिल्ली में 16 दिसम्बर की उस रात निर्भया फिल्म देखने के बाद अपने पुरुष मित्र के साथ एक बस में सवार होकर मुनिरका से द्वारका जा रही थी। बस में सवार होने के बाद उसने देखा कि बस में केवल पांच से सात यात्री सवार थे। अचानक वे सभी निर्भया के साथ छेड़छाड़ करने लगे। उस पर तंज कसने लगे। बस में उनके अलावा कोई और यात्री नहीं था। निर्भया के मित्र ने इस बात का विरोध किया। लेकिन उन सब लोगों ने उसके साथ भी मारपीट शुरु कर दी। उसे इतना पीटा गया कि वो लड़का बेहोश हो गया।

निर्भया मामले में अब तक क्या हुआ:

16 दिसंबर, 2012: दिल्ली के मुनिरका में छह लोगों ने एक बस में पैरामेडिक छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया. घटना के बाद युवती और उसके दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया गया।

18 दिसंबर, 2012: राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को इस मामले में गिरफ़्तार किया गया। 21 दिसंबर को मामले में एक नाबालिग को दिल्ली से और छठे अभियुक्त अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ़्तार किया गया।

29 दिसंबर, 2012: पीड़िता ने सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ा।

3 जनवरी, 2013: पुलिस ने पांच बालिग अभियुक्तों के ख़िलाफ़ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, डकैती आदि आरोपों के तहत चार्जशीट दाख़िल की।

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17 जनवरी, 2013: फ़ास्ट ट्रैक अदालत ने पांचों अभियुक्तों पर आरोप तय किए।

11 मार्च 2013: राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या की।

31 अक्टूबर, 2013: जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग को गैंगरेप और हत्या का दोषी माना और उसे प्रोबेशन होम में तीन साल गुज़ारने का फ़ैसला सुनाया।

10 सितंबर, 2013: फ़ास्ट ट्रैक अदालत ने चार अन्यों को 13 अपराधों के लिए दोषी ठहराया और 13 सितंबर को मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को सज़ा-ए-मौत सुनाई गई।

13 मार्च, 2014: दिल्ली हाई कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सज़ा को बरक़रार रखा।

2014-2016: दोषियों ने फ़ांसी की सज़ा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और शीर्ष अदालत फिलहाल इस पर सुनवाई कर रही है।

अभी दोषियों के पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने का विकल्प है। ऐसे में फांसी कब होगी इसके बारे में फिलहाल कहा नहीं जा सकता।

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