कोटा के इस गांव में 2 साल से कोई नहीं बना दूल्हा, जानिए आखिर क्या है वजह

इस गांव में करीब एक दर्जन परिवारों को अपने लड़कों की शादी की चिंता।

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कोटा: राजस्थान के शहरों की जहां सूरत सवारी जा रही है वहीं गांव विकास के पैमाने पर बहुत पीछे हैं। शिक्षा, पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए अब भी यहां के लोगों को जूझना पड़ रहा है। हम बात कर रहे है कोटा जिले के खानपुरिया गांव की। जहां डोलियां तो उठती है लेकिन किसी दुल्हन की डोली इस गांव में नहीं आती। मामला थोड़ा अजीब है लेकिन सच है।

गांव के स्थानीय लोगों के अनुसार पिछले 2 साल से कोई भी लड़का घोड़ी पर नहीं चढ़ा। इस गांव में करीब एक दर्जन परिवारों को अपने लड़कों की शादी की चिंता सता रही है। जंगल के ऊबड़-खाबड़ रास्ते और बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण लड़की वाले इस गांव में अपने बेटी का ब्याह नहीं करना चाहते हैं। लड़के वाले हंसी खुशी से इस गांव की लड़की को डोली में बिठाकर ले जाते हैं लेकिन गांव में डोली में बैठकर आने को कोई लड़की तैयार नहीं होती है।

आगे लोगों ने बताया कि इस गांव में बिजली के लिए खंभे और पानी के लिए बोरिंग लगे हुए हैं लेकिन बिजली नहीं होने के कारण यह सब बेकार है। हमें हर छोटी-बड़ी जरूरत को पूरा करने के लिए 6 किलोमीटर जंगलों का उबड़-खाबड़ रास्ता पार करके कसार जाना पड़ता है।

शिक्षा के लिए गांव में आठवीं तक स्कूल है जिसके बाद लड़के-लडकियों की पढ़ाई भी मुश्किल हो जाती है। ग्रामीणों का आरोप है कि राजा-महाराजाओं के समय बसे इस गांव के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।

गुर्जर बाहुल्य इस गांव में 60 परिवार रहते हैं और पशुपालन के साथ आसपास के इलाकों में मजदूरी करके अपना जीवन-यापन करते हैं। समय के साथ गांव में हालात नहीं सुधरे तो कई परिवार तो अपने पैतृक निवास पर ताला लगाकर कसार रहने लगे। वहीं गांव के कुछ समझदार लोग जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए आगे आए हैं। लेकिन समस्या वहीं की वहीं है।

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