टीवी पर आप हम पर सवाल उठाते हैं, यह आहत करता है : जस्टिस मिश्रा

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जजों को निशाना बनाने वाले वकीलों पर बुधवार को जस्टिस अरुण मिश्रा ने सख्त नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, ‘अफसोस है कि कोर्ट की कार्यवाही की चर्चा के लिए वकील टीवी चैनलों पर जाते हैं। हम पर सवाल उठाते हैं। यह बातें हमें आहत करती हैं।’ दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों केरल में मेडिकल दाखिले रद्द कर दिए थे। कुछ दाखिलों को संरक्षण देने के लिए राज्य सरकार अध्यादेश ले आई थी। लेकिन उस पर भी कोर्ट ने स्टे लगा दिया था। बुधवार को केरल सरकार ने जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच के समक्ष एक और अर्जी दायर की।

कोर्ट ने इसे सुनने से इनकार कर दिया। इस पर सरकार के वकील ने कहा, आप आदेश में स्पष्ट करें कि यह अादेश किस मद में दिया है?’ इस पर जस्टिस मिश्रा नाराज हो गए। उन्होंने फटकार लगाते हुए कहा, इसमें स्पष्ट करने वाली क्या बात है? आप एक ही तीर से सभी जजों का शिकार कर रहे हैं। आप हर दिन संस्थान की हत्या कर रहे हैं।

वकील तभी सुरक्षित रह सकते हैं, जब संस्थान सुरक्षित रहे। आप संस्थान से अलग नहीं हैं।’ कोर्ट में मौजूद सीनियर एडवोकेट और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह की चुप्पी पर भी उन्होंने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में चुप्पी सही नहीं है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाम घसीटे जाने और जूनियर जज कहे जाने पर भी उन्होंने नाराजगी जताई थी। उनकी ताजा टिप्पणी चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग को लेकर वकीलों के प्रयासों से जोड़कर देखी जा रही है।

मामला क्या है : जस्टिस अरूण मिश्रा का गुस्सा अचानक बुधवार को उस समय फूट पड़ा जब एक वकील ने कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया। इस मामले का सहारा लेते हुए उन्होंने कोर्ट के फैसलों पर सवाल उठाने वाले सभी वकीलों पर निशाना साधते हुए टिप्पणी की कि आप एक तीर से सभी को मारना चाहते हैं। आप सभी पर बराबर हमला कर रहे हैं। संस्थान की हत्या की जा रही है। अगर संस्थान ही नहीं बचा तो वकील कैसे सुरक्षित रह पाएंगे क्योंकि वह इसी संस्थान का हिस्सा हैं, इससे इतर नहीं हैं। कहा- आप एक तीर से सबको मारना चाहते हैं, संस्थान नहीं बचा तो आप कैसे सुरक्षित रहेंगे

जस्टिस चेलमेश्वर ने अपने विदाई समारोह का न्योता ठुकराया
सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज जस्टिस जे चेलमेश्वर अपने विदाई समारोह में नहीं जाएंगे। निजी कारणों का हवाला देकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन से मिला न्योता ठुकरा दिया है। जस्टिस चेलमेश्वर 22 जून को रिटायर हो रहे हैं। हालांकि, गर्मी की छुट्‌टी के चलते बार 18 मई को ही विदाई समारोह आयोजित कर रहा था। जस्टिस चेलमेश्वर सहित सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने इस साल 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। जस्टिस चेलमेश्वर लगातार तीसरे बुधवार सुप्रीम कोर्ट में नहीं आए। इस दिन सुप्रीम कोर्ट का कोई एक जज बाकी साथियों के लिए घर का खाना लेकर आता है। जस्टिस चेलमेश्वर लगातार तीसरी बार इस मौके पर गैर हाजिर रहे।

सुप्रीम कोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट बार एसोसिएशन को हड़ताल पर जाने और जज के बहिष्कार से रोका
दिल्ली की छह जिला अदालतों में बुधवार को वकीलों की हड़ताल के चलते न्यायिक कार्य ठप रहा। इसी बीच, सुप्रीम कोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट बार एसोसिएशन के हड़ताल पर जाने या किसी जज का बहिष्कार करने पर रोक लगा दी। वकीलों का आरोप है कि एक महिला वकील की ओर से दर्ज करवाए गए हमले के केस में बार एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारी गलत तरीके से फंसाए गए हैं। इसके विरोध में बुधवार काे हड़ताल की गई थी।

पीड़ित महिला वकील ने बुधवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच के समक्ष पेश होकर कहा कि उसे कोर्ट में बयान दर्ज करवाने से डर लग रहा है। इस पर चीफ जस्टिस ने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को आदेश दिया कि उन्हें उचित सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाए। कोर्ट ने कहा कि उनका डर किसी भ्रम पर नहीं, बल्कि सच पर आधारित है। महिला वकील ने कोर्ट को बताया कि 4 मई को बार के सदस्यों ने उनके साथ हाथापाई की थी। इसके बाद एडिशनल सेशन जज प्रशांत कुमार ने इस मामले में एफआईआर का आदेश दिया था। इस पर जज का बहिष्कार कर वकील हड़ताल पर चले गए। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई 11 मई को होगी।

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