राजस्थान विधानसभा में भूत, तभी तो आज तक सदन में 200 विधायक एकसाथ नहीं रहे

जिस विधानसभा में अंधविश्वास को खत्म करने के कानून बनते हैं, उसी के सदस्यों ने की भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं जैसी अंधविश्वास बढ़ाने वाली बातें

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जयपुर: जिस विधानसभा में अंधविश्वास को खत्म करने के कानून बनते हैं, उसी में गुरुवार को भूत-प्रेत और बुरी आत्माओं जैसी अंधविश्वास बढ़ाने वाली बातें हुईं। ये बातें भी खुद विधायकों ने शुरू की। शुरुआत दोपहर करीब डेढ़ बजे हुई। सदन के बाहर मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर और नागौर से भाजपा विधायक हबीबुर्रहमान अशरफी ने मीडिया से कहा- विधानसभा में बुरी आत्माओं का साया है।

तभी तो आज तक सदन में 200 विधायक एकसाथ नहीं रहे। कभी किसी की मौत हो जाती है, कभी किसी को जेल हो जाती है। आत्माओं की शांति के लिए हवन और पंडितों को भोजन कराने की जरूरत है। वे बोले- इस बारे में मुख्यमंत्री को भी बता चुके हैं। कई सुझाव भी दिए हैं।

विधायकों द्वारा फैलाया गया यह अंधविश्वास रात करीब 8 बजे सदन में गूंजने लगा। अनुदान मांगों के जवाब के बीच कांग्रेस के धीरज गुर्जर ने यह मसला उठाया। कहा- आपके सचेतक और विधायक अंधविश्वास फैला रहे हैं। बात बढ़ती गई और कमेटी से भूत-प्रेतों की जांच कराने तक पहुंच गई। इस दौरान कभी ठहाके लगे तो कभी भूत-प्रेत की बातों को सिरे से खारिज भी किया गया। गौरतलब है कि नाथद्वारा से भाजपा के वरिष्ठ विधायक कल्याण सिंह के देहांत के एक दिन बाद ही भाजपा विधायकों का यह सनसनी फैलाने वाला बयान सामने आया है।

जहां विधानसभा है, वहां श्मशान था, हो सकता है किसी आत्मा को शांति न मिली हो
जहां विधानसभा है, वहां श्मशान था। मृत बच्चे दफनाए जाते थे। हो सकता है कि कोई आत्मा हो, जिसे शांति न मिली हो। वह नुकसान पहुंचा रही हो। इसीलिए सदन में कभी एकसाथ 200 विधायक नहीं रहे। सीएम के सामने बात रखी है, हवन कराने को कहा है। -कालूलाल गुर्जर

तो क्या कारण है कि कभी यहां एकसाथ 200 विधायक नहीं बैठे
भारतीय संस्कृति में ऐसी मान्यता है कि श्मशान भूमि पर भवन नहीं होना चाहिए। ऐसे में विधानसभा के मामले में क्यों नहीं माना जाता सकता। क्या कारण है कि कभी एक साथ 200 विधायक नहीं बैठे। मैंने भी सीएम से इस बात को कहा है। -हबीबुर्रहमान अशरफी 

हमारी जमीन पर बना है विधानसभा भवन, यहां कोई भूत-प्रेत नहीं
दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, विधानसभा में कोई भूत-प्रेत नहीं है। इसके पिछले हिस्से में श्मशान जरूर है। विधानसभा का मुख्य दरवाजा व मुख्य भवन तो हमारी जमीन पर बना हुआ है। सरकार ने जमीन अवाप्त कर ली लेकिन आज तक मुआवजा नहीं दिया। अंधविश्वास फैलाने वाले विधायकों को सोचना चाहिए कि जिनकी चार-चार पीढ़ी बिना मुआवजे के धरती से चली गई उनकी आत्मा की शांति के लिए परिजनों को मुआवजा दिलवाएं। हम पिछले 53 साल से लड़ाई लड़ रहे हैं। 1964 में सरकार ने कई लोगों की 1700 एकड़ जमीन अवाप्त की थी। इसमें हमारी जमीन भी थी। मुआवजे के लिए मेरी मां प्रहलादी देवी बनाम राजस्थान सरकार के नाम से हाईकोर्ट में केस चल रहा है। –प्रेम बियानी, पूर्व महामंत्री

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