दिल्ली की जंग खत्म, सुप्रीम कोर्ट का आया ऐतिहासिक फैसला

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दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच काफी लंबे समय से चल रही जंग आज सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद खत्म हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, एलजी को कैबिनेट की सलाह के अनुसार ही काम करना होगा। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना मुमकिन नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, केजरीवाल ने ट्वीट कर इस फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि दिल्ली में लोकतंत्र की जीत हुई है। दरअसल ये विवाद केजरीवाल के सत्ता में आने के बाद से, कभी राशन, बिजली, क्लीनिक आदि जैसे कामों में उपराज्यपाल अपनी टांग फंसाते आ रहे हैं। इसी को लेकर आम आदमी पार्टी का आरोप था कि मोदी सरकार उपराज्यपाल के जरिए दिल्ली में अपना एजेंडा फैला रही है और राज्य सरकार को काम करने नहीं दे रही।

SC की ओर से कहा गया है कि उपराज्यपाल को सिर्फ कैबिनेट की सलाह पर ही फैसला करना चाहिए अन्यथा मामला राष्ट्रपति के पास भेज देना चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि एलजी का काम दिल्ली सरकार के हर फैसले पर रोकटोक करना नहीं है, ना ही मंत्रिपरिषद के हर फैसले को एलजी की मंजूरी की जरूरत नहीं है।

आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण ने फैसला लिया। इससे पहले दिल्ली सरकार को दिल्ली हाईकोर्ट झटका दे चुकी थी। हाईकोर्ट ने माना था कि कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हैं और दिल्ली सरकार एलजी की मर्जी के बिना कानून नहीं बना सकती। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले को पूरी तरह से पलट दिया है।

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