यूपी महाघोटाला: खड़े-खड़े 160 की स्पीड में दौड़ी ‘समाजवादी एंबुलेंस’

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उत्तर प्रदेश: अखिलेश सरकार के नाक नीचे 5 साल तक करोड़ों की हेरा-फेरी चलती रही लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। अगर आपको याद हो तो अखिलेश सरकार ने अपने कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही आम आदमी को 108 और 102 एंबुलेंस का तोहफा दिया था। लेकिन इस तोहफे के जरिये अधिकारियों ने गरीब के पैसे के साथ इतनी पड़ी साजिश की। जिसका शायद अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता।

न्यूज 18 की खबर के अनुसार, मेरठ स्वास्थ विभाग में खड़ी एंबुलेंस 160 की स्पीड़ पर दौड़ रही है। शायद ये सुनकर आपको यकीन न आए, लेकिन ये सच है जिसे देख और सुनकर अधिकारी भी हैरान हैं। महज कागजों में दौड़ रहीं एंबुलेंस में फर्जी आईडी का खेल चल रहा गया है। इस खबर के बाहर आते ही पूरे स्वास्थ विभाग में हड़कप मच गया।

क्या है पूरा मामला:

समाजवादी पार्टी की सरकार में गरीब आदमी को समय पर स्वास्थ सेवा उपलब्ध कराने के लिए 108 और 102 एंबुलेंस चलाई गई थी, ताकि आम आदमी को समय पर चिकित्सा सेवा मिल सके और कोई भी व्यक्ति इलाज के अभाव में दम न तोड़े। लेकिन स्वास्थ विभाग में खड़ी 102 और 108 एंबुलेंस खड़े-खड़े ही 160 की स्पीड़ पर दौड़ रही है। एंबुलेंस ड्राइवर और अधिकारियों की साठगांठ से इन गाड़ियों में ऐसी डिवाइस का इस्तेमाल किया गया है। जिससे देखकर खुद अधिकारी हैरान रह गए कि खड़ी गाड़ी कैसे 160 की स्पीड में भाग रही है।

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ऐसे दिया साजिश का अंजाम:

खड़ी गाड़ियों के दौड़ने के इस पूरे खेल में स्वास्थ विभाग की 108 और 102 एंबुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर याकूब अली और इमजेंसी मेडिकल एग्जीक्यूटिव राहुल त्यागी की मिली भगत सामने आई। इन दोनों अधिकारियों ने व्हाट्सएप पर सभी ड्राइवर का ग्रुप बना रखा है। ये दोनों अधिकारी एंबुलेंस ड्राइवर और अन्य स्टाफ कैसे काम करना है और उन्हें क्या आदेश देना है ये सब पूरे दिशानिर्देश व्हाट्सएप पर ही देते थे। जो ड्राइवर  जितनी आईडी देता उतना ही उसे सराहा जाता और जिसकी आईडी कम रहती उसे उतनी फटकार झेलनी पड़ती। आईडी का मतलब फर्जी फोन कॉल के जरिए खड़ी एंबुलेंस को दौड़ाना हैं।

अगर एंबुलेंस का कोई ड्राइवर 108 और 102 एंबुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर याकूब अली और इमरजेंसी  मेडिकल एग्जीक्यूटिव राहुल त्यागी की बात नहीं मानता तो उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है। चार दिन पहले ही इन दोनो अधिकारियों ने 108 एंबुलेंस के ईएमटी को हटा दिया। बताया जा रहा है कि ईएमटी अतर सिंह ने इन दोनो अधिकारियों की शिकायत इनके ही शिकायत प्रकोष्ठ ‘‘वीकेयर‘‘ पर की थी। जिसके बाद उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

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246 आईडी में से 33 आईडी सही:

जब ये पूरा मामला CMO वीपी सिंह पास पहुंचा तो खड़ी गाड़ियों का चलता मीटर, व्हट्सएप चैट देख वह भी हैरान रह गए। उन्होंने बताया कि इस माह ही 108 और 102 एंबुलेंस में लगी आईडी की जांच कराई थी। दोनो एंबुलेंस में 246 आईडी दिखाई गई। जब इन आईडी की जांच कराई गई तो महज 33 आईडी ही सही पायी गईं, बाकि फर्जी निकली। ऐसे में अंदाजा लगाना सहज है कि किस तरह से स्वास्थ महकमें के अधिकारी ही विभाग को हर माह लाखों रुपए की चपत लगा रहे हैं।

अब इस मामला के खुलने के बाद स्वास्थ महकमें में हड़कप मचा हुआ है, क्योंकि यह केवल अभी मेरठ में ही सामने आया है अगर ऐसी स्थिति अन्य जिलों में भी रही होगी तो ये घोटाला करोड़ों की जगह अरबों में पहुंच सकता है। देखना है अब योगी सरकार इस मामले पर कैसा रूख रखती है और भ्रष्टाचारियों किस तरह की कार्रवाई करवाती है।

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