नोटबंदी के बाद अपनी बचत को लेकर परेशानी में हैं दिल्ली की सेक्सवर्कर

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नई दिल्ली: समाज ने जिसे कभी नहीं अपनाया आज वो मोदी के नोटबंदी का सबसे बड़ा शिकार हो रही है। भाषा की जानकारी के अनुसार नोटबंदी से सेक्सवर्करों की आजीविका पर फर्क पड़ा है। दिल्ली के रेडलाइट एरिया में आने वाले अधिकतर ग्राहक आस-पास के राज्यों से आते हैं लेकिन नोटबंदी के चलते अब ग्राहकों ने आना तो बंद किया। इसके साथ जो सेक्सवर्कर की ऊपरी कमाई से जो पैसा बचाया था अब वो भी किसी काम का नहीं रहा।

केस न.1 यहां एक वेश्यालय में सेक्सवर्कर के तौर पर काम करने वाली रेशमा (बदला हुआ नाम) ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘लंबे समय से अपने ग्राहकों से बख्शीश में मिलने वाले रुपये को वह अलग से जमा करके रखती हैं। अभी उनकी बचत में करीब पांच हजार रुपये के बड़े मूल्य के नोट भी हैं। अभी फिलहाल वह इस बचत का क्या करें यह उनकी समझ से बाहर है और उनके पास कोई बैंक खाता भी नहीं है।’’

केस न.2  शमीम (बदला हुआ नाम) ने बताया कि बैंक खाता नहीं होने की वजह से जहां उन्हें अपने नोटों को बदलने में दिक्कत हो रही है। वहीं उनकी कुछ साथियों के खाते गांवों में हैं और अब अपनी बचत के नोटों का इस्तेमाल करने के लिए उन्हें उन्हीं खातों का उपयोग करना पड़ रहा है। इसके अलावा एक और समस्या नए बैंक खाते नहीं खुलवा पाने की है क्योंकि उन जैसी अधिकतर महिलाओं के पास ‘ग्राहक को जानो’ नियम (केवाईसी) की पूर्ति करने के लिए मान्य दस्तावेज ही नहीं है।

सेक्सवर्करों के अधिकारों के लिए काम करने वाले गैर-सरकारी संगठन ‘ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्सवर्कर्स’ की अध्यक्ष कुसुम ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘यह समस्या यहां काम करने वाली करीब 50 प्रतिशत सेक्सवर्करों की है। यहां अधिकतर के पास बैंक खाता नहीं है और इसलिए वह अपनी इस बचत के उपयोग को लेकर असमंजस में है।’’

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