भारतीय श्रमिकों ने कहा, नर्क से बुरा अनुभव है सऊदी अरब जाना

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नई दिल्‍ली: तेल में आई लगातार गिरावट ने अर्थव्यवस्था को एक बार फिर से डगमगा दिया है। जिसका नुकसान अपना देश छोड़कर बाहर गए श्रमिकों को भुगतना पड़ रहा है। हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार भारत, पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और फिलीपींस के के इन श्रमिकों की वहां बेसहारा छोड़ दिया गया।

नौकरी गंवाने के बाद इनके पास घर लौटने के लिए तो दूर, खाना खरीदने तक के लिए पैसे नहीं थे। इस सप्‍ताह बिहार से करीब 40 श्रमिक जब वापस लौटे हैं तो इनकी जुबान पर यही कहानी है कि नियोक्‍ता सउदी ओगर ने उन्‍हें मरने के लिए छोड़ दिया था। एक समय प्रतिष्ठित मानी जाने वाली यह फर्म लेबनान के अरबपति और पूर्व प्रधानमंत्री साद हरि‍री की है।

एक समय करीब 50 हजार श्रमिकों को पे-रोल पर रखने वाली इस कंपनी की आय में लगातार कमी आती गई। सऊदी अरब की तेल से होने वाली आय में कमी के कारण प्रोजेक्‍ट में देरी हुई जिसके कारण कंपनी का कंस्‍ट्रक्‍शन का प्रमुख काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ।

इलेक्ट्रिशियन इमाम हुसैन ने इस सप्‍ताह दिल्‍ली पहुंचने के बाद बताया, ‘उन्‍होंने अचानक मेस (केंटीन) बंद कर दी। तीन दिन तो हमारे पास पीने के लिए पानी तक नहीं था। वहां बिजली भी नहीं थी।’ रियाद में सऊदी किंग सलमान के पेलेस के पुननिर्माण का काम करने वाले इस 27 वर्षीय युवा ने बताया, ‘मुझे गिरफ्तारी का भी सामना करना पड़ा क्‍योंकि नियोक्‍ता में मेरे पहचान पत्र का नवीनीकरण नहीं किया था, कुल मिलाकर हालात नर्क से भी बुरे थे।’

हुसैन और उनके सहयोगियों को कई दिन दिल्‍ली में गुजारने पड़े। बिहार अपने घर जाने के इंतजार में उन्‍होंने एक होटल में फर्श पर सोने और खाने को मजबूर होना पड़ा। आखिरकार घर लौटने की खुशी उनकी इस मुश्किलों के आगे कुछ भी नहीं थी। अपने गांव जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रहे श्रमिक संतोष सिंह ने कहा, ‘आखिरकार घर वापस लौटते हुए हम बेहद राहत महसूस कर रहे है। हम अपने परिवार को देखना और नए सिरे से जिंदगी शुरू करना चाहते हैं ‘