जानिए देश में हड़कंप मचाने वाला धार्मिक कार्यक्रम ‘तबलीगी जमात’ क्या है?

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नई दिल्ली: कोरोना वायरस (COVID-19) के संक्रमण को रोकने के लिए पूरा देश लॉकडाउन में है। जहां अभी तक भारत कोरोना वायरस को लेकर दूसरे स्टेज में बताया जा रहा था। वहीं अचानक सोमवार को तेलंगाना से आई एक खबर ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया। तेलंगाना में कोरोना वायरस के कारण सोमवार को छह लोगों की मौत हो गई। ये सभी दिल्ली में आयोजित हुए एक बड़े धार्मिक कार्यक्रम तबलीगी जमात’ (Tablighi Jamaat) में शामिल होने के बाद वापस घर लौटे थे।

इनकी मौत के बाद से ‘मरकज तबलीगी जमात’ (Tablighi Jamaat) खूब सुर्खियों में बना हुआ है। चलिए हम आपको इसके बारें में पूरी जानकारी देते हैं। दरअसल कुछ दिनों पहले ही दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात का कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसमें 1000 से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। तेलंगाना के छह लोगों की मौत के बाद अभी तक 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके बाद अब यह आशंका जताई जा रही है कि इसमें शामिल 200 के करीब लोग कोरोना के संक्रमित हो सकते हैं।

क्या है तबलीगी जमात और मरकज और इनका काम
मरकज, तबलीगी जमात, ये तीनों शब्द अलग-अलग हैं। तबलीगी का मतलब होता है, अल्लाह के संदेशों का प्रचार करने वाला। जमात मतलब, समूह और मरकज का अर्थ होता है मीटिंग के लिए जगह। यानी की अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह।  इसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित है। एक दावे के मुताबिक इस जमात के दुनिया भर में 15 करोड़ सदस्य हैं। 20वीं सदी में तबलीगी जमात को इस्लाम का एक बड़ा और अहम आंदोलन माना गया था। जमात में शामिल लोग सुबह-शाम शहर में निकलते हैं और लोगों से नजदीकी मस्जिद में लोगों को आने को कहते हैं और अपने इस्लाम धर्म का प्रचार करते हैं, जिसमें रोजा, नमाज आदि धार्मिक चीजें शामिल होती हैं।

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कब हुई मरकज तबलीगी जमात की शुरुआत
कहा जाता है कि ‘तबलीगी जमात’ की शुरुआत मुसलमानों को अपने धर्म बनाए रखने और इस्लाम का प्रचार-प्रसार तथा जानकारी देने के लिए की गई। तबलीगी जमात आंदोलन को 1927 में मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत में हरियाणा के नूंह जिले के गांव से शुरू किया था। इस जमात के छह मुख्य उद्देश्य बताए जाते हैं। “छ: उसूल” (कलिमा, सलात, इल्म, इक्राम-ए-मुस्लिम, इख्लास-ए-निय्यत, दावत-ओ-तबलीग) हैं। तबलीगी जमात का काम आज दुनियाभर के लगभग 213 देशों तक फैल चुका है। 1941 में 25 हजार लोगों के साथ पहली मीटिंग आयोजित हुई और फिर यहीं से ये पूरी दुनिया में फैल गया। विश्व के अलग-अलग देशों में हर साल इसका वार्षिक कार्यक्रम आयोजित होता है। जिसे इज्तेमा कहते हैं।

आपको बता दें, यह धार्मिक आयोजन दिल्ली में 1 से 15 मार्च के बीच हुआ था इसमें शामिल हुए लगभग 6 लोगों की मौत कोरोनावायरस से हो गई है। बताया जा रहा है कि इस धार्मिक कार्यक्रम में 281 विदेशी नागरिकों समेत 19 प्रदेशों के 1830 लोग शामिल हुए थे। अंडमान से 21, असम से 216, बिहार से 86, हरियाणा से 22, हिमाचल से 15, हैदराबाद से 55, कर्नाटक से 45, महाराष्ट्र के 115, मेघालय में 5 और केरल से 15 लोग आए थे। मध्य प्रदेश से 107, ओडिशा से 15, पंजाब से 9, राजस्थान से 19, झारखंड से 46, तमिलनाडु से 501, उत्तराखंड से 34, उत्तर प्रदेश से 156 और पश्चिम बंगाल से 73 लोग आए थे। इस जमात में इंडोनेशिया, श्रीलंका समेत 15 देशों के 281 लोग भी आए थे। इसमें से 700 लोगों को क्वारनटीन और 334 लोगों को हॉस्पिटल भेजा गया है।

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