भारत को है PM मोदी की रूस यात्रा से ये तीन उम्मीदें, यहां पढ़ें क्या होंगे फायदें

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार देर शाम रूस के लिए रवाना हो गए। मोदी का यह चार साल में चौथा रूस दौरा है। वह सोमवार को सोची शहर में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अनौपचारिक शिखर बैठक करेंगे। मोदी, पुतिन के बुलावे पर रूस पहुंचे हैं। पुतिन ने दो हफ्ते पहले ही चौथी बार रूस के राष्ट्रपति बने हैं। मोदी और पुतिन के बीच ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने के प्रभाव, आईएस, सीरिया, अफगानिस्तान और न्यूक्लियर पावर को लेकर बाचचीत संभव है।

भारत और रूस के शीर्ष नेताओं के बीच सालाना शिखर बैठकों का सिलसिला 2000 से चल रहा है। ये बैठकें बारी-बारी से माॅस्को और नई दिल्ली में आयोजित की जाती हैं। रूस में भारत के राजदूत पंकज शरण ने कहा कि पुतिन और मोदी के बीच यह मुलाकात बहुत खास है। पुतिन ने कई मुद्दों पर वार्ता के लिए पीएम मोदी को रूस आने का न्योता दिया है। पुतिन की इच्छा है कि दोनों नेता भविष्य में रूस की प्राथमिकताएं, विदेश नीति और आपसी संबंधों पर बात करेंगे। पुतिन और मोदी साथ में लंच करेंगे।

रक्षा सौदे:
भारत, रूस से परमाणु पनडुब्बी लीज पर लेना चाह रहा है। रूस से 40,000 करोड़ रुपए की लागत पर वायु प्रतिरक्षा मिसाइल प्रणाली भी खरीदने का करार किया है। रूस, भारत को कम कीमत में ही सुखोई टी-50 लड़ाकू जेट देने की पेशकश कर चुका है। भारत, रूस का सबसे बड़ा हथियार खरीदार है। 68% सैन्य हॉर्डवेयर भारत, रूस से ही खरीदता है।

आर्थिक सहयोग:
भारत और रूस के बीच मौजूदा वक्त में सालाना 80 हजार करोड़ रु. से ज्यादा का द्विपक्षीय व्यापार हो रहा है। दोनों ने इसे 2025 तक 2 लाख करोड़ करने का लक्ष्य रखा है। इस पर भी भारत और रूस के बीच बातचीत हो सकती है। इनमें परमाणु, रक्षा, व्यापार और पर्यटन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। 2012 में दोनों देशों के बीच कारोबार में 24% की वृद्धि हुई थी।

न्यूकिल्यर पावर: भारत विश्व के सबसे बड़े रक्षा आयातकों में से एक है। रूस तेल और प्राकृतिक गैस के मामले में बहुत समृद्ध है। अमेरिका और चीन के बाद भारत तेल और गैस का सबसे अधिक आयात करता है। 2030 तक रूस, भारत में 16 से 18 नए न्यूक्लियर पावर रिएक्टर लगाने वाला है। इसमें एक की क्षमता 1000 मेगावाट है। एक रिएक्टर की कीमत 17 हजार करोड़ रु. है।

मोदी की अनौपचारिक कूटनीति, अमेरिका और यूरोपीय देशों को देंगे दोस्ती का संदेश
मोदी ने अनौपचारिक बैठकों का ट्रेंड शुरू किया है। इसकी शुरूआत उन्होंने हाल ही में चीन दौरे पर राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ मुलाकात कर की थी। मोदी और पुतिन के बीच अनौपचारिक शिखर वार्ता का उद्देश्य दोनों देशों की दोस्ती और विश्वास का इस्तेमाल प्रमुख वैश्विक व क्षेत्रीय मुद्दों पर समझ कायम करना है। दोनों अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों को पुरानी दोस्ती की ताकत का एहसास कराना भी चाहेंगे।

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