स्पीड ही नहीं, गलत डिजाइन के कारण हाईवे के स्पीड ब्रेकर बने जानलेवा

हर रोज हो रहे हैं हादसे, कई स्थानों पर एक किमी के दायरे में 6-6 ब्रेकर तक बनाए दिए जाने से परेशान लोग

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राजस्थान: शहर की सड़कों पर गलत डिजायन में बने स्पीड ब्रेकरों की वजह से हादसों की वजह बन रहे हैं। लोकसभा में जारी आंकड़ों के अनुसार 2015 में स्पीड ब्रेकरों की वजह 201 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। जयपुर में भी ब्रेकरों की वजह से सैकड़ों हादसे हो रहे हैं। केन्द्रीय परिवहन मंत्रालय ने पिछले साल अप्रैल में सभी राज्य सरकारों से हाईवे पर स्पीड ब्रेकर हटाने का आदेश दिया था लेकिन हैरानी की बात है कि 11 महीने बाद भी शहर से गुज़र रहे हाइवे पर कई जगह स्पीड ब्रेकर हैं।

आगरा हाइवे, खोर नागोरियान रोड (वार्ड 45) से आगरा हाइवे से जुड़ते हुए रास्ते पर 1 किलोमीटर की सड़क पर पांच से छह ब्रेकर हैं। घोषणा के बाद पहले तो स्पीड-ब्रेकर हटाए नहीं गए। फिर इस एक ही रोड पर 3 प्रकार के स्पीड-ब्रेकर हैं। जिसे इंडियन रोड कांग्रेस के अनुसार गलत ठहराया गया है।

तीन तरह के हो सकते हैं स्पीड ब्रेकर
सड़कों पर काले पीले रंग के रबड़ या प्लास्टिक से बने स्पीड ब्रेकर लगाए जा रहे हैं, जो बाजार में बहुत किफायती दामों में उपलब्ध हैं। वहीं कुछ सड़कों पर अब भी डामर के स्पीड ब्रेकर बने हैं। जिन सड़कों पर हॉस्पिटल, स्कूल या कॉलेज बने हो और यहां गाड़ी के ब्रेक को एकदम से कम करना हो , वहां रम्बल स्ट्रिप्स लगाए जाते हैं। वहीं हैवी ट्रैफिक वाली रोड पर जब ट्रैफिक को साइक्लिस्ट या पैदल चलने वालों के लिए कंट्रोल करना होतो स्पीड टेबल्स बनाए जाते हैं और कॉलोनी या कम ट्रैफिक वाली रोड पर ट्रांसवर्स बार मार्किंग बनाए जाते हैं।

गत वर्ष देश में 11 हजार लोगों की मौत हुई स्पीड ब्रेकरों से

लोकसभाके इस सत्र में दिए गए आंकड़ों की मानें तो देशभर में 2015 में 11084 लोगों की मौत स्पीड ब्रेकर की वजह से हुए हादसों के कारण हुई थी। वहीं, केन्द्रीय परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार सड़क हादसों के मामलों में राजस्थान का देश में आठवां तथा इन हादसों में मरने वालों की संख्या के लिहाज से पांचवें स्थान पर है। वहीं मंत्रालय की ओर से जारी 2014 की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 11008 लोगों की मौत सड़क पर एक दूसरे की गाड़ी के भिड़ने से हुई।

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स्पीड ब्रेकर्स बनाने के ये हैं नियम
इंडियन रोड कांग्रेस (आईआरसी) के नियमों के मुताबिक किसी भी सड़क पर स्पीड ब्रेकर के निर्माण से पहले वहां ट्रैफिक का सर्वे किया जाता है। इस सर्वे के आधार पर यह जानकारी जुटाई जाती है कि जहां स्पीड ब्रेकर बनाए जाने हैं वहां ट्रैफिक का प्रेशर कितना है। उसके आधार पर निर्माण की तकनीक, मोटाई, मैटेरियल के मापदंड तय होते हैं। वहीं, कॉलोनी या शहर में बने स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई 10 सेंटीमीटर, लंबाई 3.7 मीटर और कर्वेचर रेडियस 17 मीटर होना चाहिए।

साथ ही ड्राइवर को सचेत करने के लिए स्पीड ब्रेकर आने से 50 से 80 मीटर पहले एक चेतावनी बोर्ड लगा होना चाहिए और निर्देशानुसार इनपर रेटरोरिफ्लेक्टिव पेंट भी होना चाहिए जिन पर थर्मो प्लास्टिक बार मार्किंग होनी जरूरी है। गौरतलब है कि स्पीड ब्रेकर का मुख्य मकसद गाड़ियों की रफ्तार को 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचाना है ताकि सड़क हादसों के खतरे कम किया जा सके।

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