भविष्य की 6 तकनीकें जो इंटरनेट को बना देंगी सुपरफास्ट

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गैजेट्स डेस्क: इंटरनेट आज के दौर के महत्वपूर्ण आविष्कारों में से एक है। हालांकि फिलहाल दुनिया भर में केवल आधे लोगों तक ही इसकी पहुंच है, लेकिन जैसे-जैसे इंटरनेट कनेक्टिविटी से ज्यादा लोग जुड़ते जा रहे हैं इसकी स्पीड को लेकर उम्मीदें बढ़ने लगी हैं। 4जी और अब आने वाली 5जी की स्पीड से भी यूजर्स को संतुष्टि नहीं है।

यही वजह है कि आने वाले समय में बफरिंग और पेज लोडिंग में लगने वाले मिली सैकंड के इंतजार के माइक्रो सैकंड में बदलने की उम्मीद है। पूरी दुनिया में इंटरनेट की कनेक्टिविटी को बढ़ाने के साथ ही उसकी स्पीड तेज करने को लेकर भी काम किया जा रहा है। यहां ऐसी इंटरनेट स्पीड से जुड़ी 6 तकनीकें हैं, जो फिलहाल अभी विकास के पहले चरण में हैं।

फेसबुक का सौर-संचालित इंटरनेट ड्रोन
फेसबुक की कनेक्टिविटी लैब ने बोइंग 747 के रूप में बड़े पंखों वाला एक सौर-संचालित ड्रोन विकसित किया है जिसने अपनी पहली टेस्ट फ्लाय जून 2016 में कर ली है। इंटरनेट की दुनिया में इसे एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। फेसबुक को उम्मीद है कि एक दिन यह ड्रोन 60 मील तक उड़ पाएगा। इसकी रेंज में आने वाले लोग इंटरनेट का लुत्फ उठा पाएंगे। इस ड्रोन से उन क्षेत्रों के लोगों को फायदा होगा, जहां इंटरनेट केबल के माध्यम से नहीं पहुंच सकता है।

कई गुना तेज स्पीड वाला लाईफाई
एलईडी आधारित वायरलेस इंटरनेट टेक्नोलॉजी -“लाई-फाई’ पहले ही विकसित की जा चुकी है। विशेषज्ञों का दावा है कि यह मौजूदा वाईफाई से सैकड़ों गुना तेज है । लाई-फाई’ एलईडी लैंप की झिलमिलाहट दर का फायदा लेती है, जो आंखों से नहीं देखी जा सकती है। इसका बैंडविड्थ पारंपरिक वायरलेस इंटरनेट से अधिक है। इसकी एक कमी है, लाई-फाई को काम करने के लिए रोशनी की जरूरत होती है, इसलिए वह वाईफाई की तरह दीवारों को पार नहीं कर सकती।

330 % तेज वाईफाई
कुछ महीनों पहले, एमआईटी के रिसर्चर्स ने नए वायरलेस इंटरनेट में एक सफलता की घोषणा की जो कि 330 प्रतिशत तेज और मौजूदा प्रौद्योगिकी से दोगुने बैंडविड्थ वाला है। डब्ड मैगामीमो 2.0 नाम का यह वाईफाई एक साथ कई रिसीवर का उपयोग डेटा को रिले करने के लिए करता है, जो किसी दिए गए बैंडविड्थ में डेटा की मात्रा बढ़ाता है। यह उपकरण किसी भी सार्वजनिक स्थान पर तेजी से इंटरनेट और संगीत समारोहों व खेल आयोजनों के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा।

प्रोजेक्ट लून- गुब्बारा आधारित इंटरनेट एक्सेस
गूगल ने ड्रोन लॉन्च करने से पहले, प्रोजेक्ट लून की पहल की, जो गुब्बारे पर निर्भर करता है। इंटरनेट से सुसज्जित ये गुब्बारे अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी फैलाने के लिए डिजाइन किए गए हैं। इन गुब्बारों से इंटरनेट यूज करने के लिए छत पर एंटिना स्थापित करना होता है। इस तकनीक का लाभ उन इलाके के लोगों को मिलेगा, जो दूरदराज और रेगिस्तानी इलाकों में निवास करते हैं। इन गुब्बारों से इंटरनेट एक्सेस किया जा सकेगा।

अंतरिक्ष से मिलेगा नासा का बीम इंटरनेट
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अपने 340 दिवसीय मिशन के दौरान, अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री स्कॉट कैली ने अंतरिक्ष के सुंदर फोटोज को इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया। अंतरिक्ष में इंटरनेट का उपयोग करना उतना ही मुश्किल है जितना एक अंतरिक्ष यान को भेजना, लेकिन नासा ने अपनी बीम इंटरनेट तकनीक के उपयोग से डीप स्पेस में भी इंटरनेट का उपयोग आसान बना दिया है।

सैमसंग का सैटेलाइट
सैमसंग पहले ही स्पेस में 4600 सैटेलाइट स्थापित करने का विचार देकर तहलका मचा चुका है। इस विचार के आधार पर विकसित नेटवर्क से दुनिया का कोई भी इलाका ऐसा नहीं होगा जो इंटरनेट से अछूता रह जाए। इस विचार के सफल हो जाने पर 1 गीगाबाइट तक की स्पीड संभव हो पाएगी, लेकिन निकट भविष्य में इस विचार के सच में तब्दील होने के आसार नजर नहीं आते।

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