एआर रहमान: ऐसा खामोश कलाकार जो संगीत की ज़बान में बोलता है….

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मुम्बई: संगीत की दुनिया का ऐसा खामोश कलाकार जो संगीत की जबान में बोलता है, जो जन्मा तो हिंदू लेकिन अपनी पसंद से मुसलमान भी है। हम बात कर रहे है एआर रहमान की। जी हां आज उनका 50वां जन्मदिन है। रहमान की खासियत है कि वह अपनी आलोचनाओं और तारीफों पर ध्यान दिए बिना चुपचाप अपना काम करते रहते हैं, फिर अचानक चर्चा में आते हैं किसी शानदार एल्बम के लिए, किसी उम्दा म्यूजिकल हिट फिल्म के लिए, आॅस्कर, ग्रैमी, एकेडेमी या बाफ्टा जैसे अवॉर्ड के लिए।

रहमान को अपना पहला ब्रेक फिल्म ‘रोजा’ से मिला और फिर सिलसिला ‘बॉम्बे’, ‘जेंटलमैन’, ‘रंगीला’ ‘दिल से’ और ‘ताल’ जैसी म्यूजिकल हिट फिल्मों से होता हुआ ‘लगान’ और ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ तक पहुंचा, जिसके लिए रहमान को ‘एकेडेमी अवॉर्ड’, बाफ्टा अवॉर्ड और ग्रैमी अवॉर्ड भी मिला।

भारत के स्वतंत्रता दिवस की 50वीं सालगिरह पर उन्होंने गैरफिल्मी एल्बम ‘वंदे मातरम’ लॉन्च किया जो जबरदस्त लोकप्रिय हुआ। ‘वंदे मातरम’ तमाम गायकों ने गाया है, लेकिन रहमान के वंदे मातरम जैसा बेजोड़ प्रयोग कोई नहीं कर पाया। सबसे ज्यादा भाषाओं में इस गाने पर प्रस्तुति दिए जाने के कारण इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है।

रहमान ने भारतीय फिल्म संगीत में धमाल करने के बाद अंतरराष्ट्रीय संगीत की तरफ रुख किया। उन्होंने दुनिया भर में कन्सर्ट करने के अलावा हॉलीवुड की कई फिल्मों में संगीत दिया है। 2013 में कनाडाई की राजधानी ओंटारियो के मार्खम में एक सड़क का नाम उनके सम्मान में ‘अल्लाह रक्खा रहमान’ कर दिया गया।

 

रहमान के गानों की 200 करोड़ से भी अधिक रिकॉर्डिंग बिक चुकी है। वह विश्व के कुछ-एक सर्वश्रेष्ठ संगीतकारों में शुमार किए जाते हैं। 2010 में रहमान नोबेल पीस प्राइज कंसर्ट में प्रस्तुति दे चुके हैं। 2004 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रहमान को टीबी की रोकथाम के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सद्भावना दूत बनाया। यहां सुनिए रहमान के कुछ गाने…