माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पाने के लिए महिला ने लगवाया बोटोक्स इंजेक्शन, अब हुई ऐसी हालात? पढ़ें खबर

‘बोटॉक्स’ एक ड्रग है जो असल में पॉइजन है। यह क्लॉस्ट्रीडियम बोटुलिनम (Clostridium Botulinum) नाम के बैक्टीरिया से बनता है। यह वही जहर है जो फूड पॉइजनिंग का काम करता है।

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migraine botox injection: माइग्रेन की समस्या आम हो चली है लेकिन कुछ लोग इसका दर्द सहन नहीं कर पाते। ऐसा ही एक मामला अब सामने आया है। जहां महिला ने माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पाने के लिए बोटोक्स इंजेक्शन ले लिया जिसके बाद वह आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गई हैं। अब ये मामला सोशल मीडिया पर चर्चा में है।

ये पूरा मामला अमेरिका का है। अमेरिकी महिला एलिसिया हैलॉक ने माइग्रेन की समस्या के लिए एक बोटोक्स इंजेक्शन ले लिया जिसके बाद वह आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गई और महिला की हालात ऐसी हो गयी है कि उनके मुंह में लार आना तक बंद हो गई है।

सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर दी जानकारी
पीपल मैगज़ीन की एक रिपोर्ट के अनुसार, एलिसिया हैलॉक ने इंस्टाग्राम पर अपना दुखद अनुभव साझा किया, जिसमें दावा किया गया कि मांसपेशियों को जमा देने वाली प्रसिद्ध दवा सबसे पहले उनके माइग्रेन को कम करने के लिए दी गई थी।

तीन बच्चों की मां ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मुझे एक दुर्लभ जटिलता हो गई है। उन्होंने कहा कि शरीर में यह जटिलता मांसपेशियों और गर्दन तक फैल गई और गार्डन न घूमना, पलकों का झुक जाना, आंखों से कम दिखाई देना, चक्कर आना और बोलने में परेशानी सहित कई समस्याएं पैदा हो गईं हैं।

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क्या है बोटोक्स इंजेक्शन?
‘बोटॉक्स’ एक ड्रग है जो असल में पॉइजन है। यह क्लॉस्ट्रीडियम बोटुलिनम (Clostridium Botulinum) नाम के बैक्टीरिया से बनता है। यह वही जहर है जो फूड पॉइजनिंग का काम करता है। मगर आजकल इसका ब्यूटी ट्रीटमेंट के लिए खूब इस्तेमाल हो रहा है। ‘बोटॉक्स’ फेस फ्रीजिंग इंजेक्शन है जिससे चेहरे की मांसपेशियों को फ्रीज कर दिया जाता है।

बोटोक्स इंजेक्शन कैसे करता है काम?
‘बोटॉक्स’ इंजेक्शन के जरिए दिमाग से चेहरे की मांसपेशियों तक पहुंचने वाले सिग्नल को ब्लॉक कर दिया जाता है, ताकि चेहरे की मांसपेशियां सिकुड़ें नहीं। आसान शब्दों में कहें तो ‘बोटॉक्स’ इंजेक्शन मसल्स को कुछ समय के लिए पैरालाइज्ड कर देते हैं जिससे एजिंग पर कुछ समय के लिए फुलस्टॉप लग जाता है। उम्र के असर को रोकने का असल खेल यही है।इसका इंजेक्शन फोरहेड लाइन्स यानी माथे, क्रो फीट यानी आंखों के पास की लाइनों और फ्राउन लाइन्स यानी भौंहों के बीच के भाग में लगाया जाता है। यह कुछ मिनटों का ही प्रॉसेस है।

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किसने बनाया बोटोक्स इंजेक्शन?
जर्मनी के डॉक्टर Justinus Kerner ने 1800 में Botulinum Toxin की खोज की। दरअसल, जर्मनी में कई लोगों की अधपके मीट (Blood Sausages) खाने से जान चली गई थी। Dr. Justinus Kerner इस केस की स्टडी कर रहे थे। जब उन्हें बैक्टीरिया Botulinum Toxin मिला, जिसे न्यूरोटॉसिन भी कहा जाता है तो उन्होंने माइक्रोस्कोप पर इसकी स्टडी करने की जगह इसका इंजेक्शन खुद लिया। इसका उन पर असर तो दिखा लेकिन वह समझ गए थे कि इस जहर को उपचार के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

इस बैक्टीरिया पर लगातार रिसर्च चलती रही। फिर 1978 में अमेरिका के वैज्ञानिक डॉ. एलन बी. स्कॉट को बोटॉक्स को इंसानों में कम मात्रा में इंजेक्ट करने की मंजूरी मिली। तब उन्होंने इस बैक्टीरिया को एंटी एजिंग के लिए इस्तेमाल किया। 1991 में फार्मा कंपनी Allergan ने इस न्यूरोटॉसिन के राइट्स खरीदे और इसे बोटॉक्स नाम दिया।

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माइग्रेन में कैसे काम करता है बोटॉक्स इंजेक्शन?
बोटॉक्स इंजेक्शन, क्रोनिक माइग्रेन से पीड़ित लोगों में सिरदर्द को रोकने में मदद करता है बोटॉक्स, मांसपेशियों को सिकुड़ने से रोकने वाले रासायनिक संकेतों को अवरुद्ध करता है। इससे मांसपेशियां कम कठोर होती हैं और दर्द के प्रति कम संवेदनशील हो जाती हैं। बोटॉक्स इंजेक्शन की मदद से माइग्रेन होने की आवृत्ति कम की जा सकती है। यह इलाज मुख्य रूप से उन लोगों के लिए किया जाता है जिन्हें महीने में 15 या उससे ज़्यादा दिनों तक सिरदर्द रहता है।

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