किक्रेट के शोर में हॉकी को मत भूल जाना…

0
424

इंडिया मैच हार गई है। वो भी 180 रनों से। सोशल मीडिया से लेकर टीवी के सूट-बूट वाली डिबेटों तक हमारी हार को याद दिलाया जा रहा है। हम जितना मॉर्डन वर्ल्ड की तरफ बढ़ रहे हैं उतना सोचने समझने की क्षमता को कम करते जा रहे हैं। आज कल सही-गलत का फैसला फेसबुक-ट्विटर पर बहसबाजी करके लेने लगे है। फेसबुक की भाषा में बोलूं तो दिल बोले किक्रेट..और स्टेट्स बोले हॉकी हॉकी। देखकर बड़ा बुरा लगा किक्रेट की हार ने हॉकी की जीत को परास्त कर दिया। पाकिस्तान एक मैच हार कर भी हमारी जीत को चिढ़ा रहा है। हम भी वैसा ही व्यवहार कर रहे हैं जैसा पाकिस्तान चाहता है। वो हार कर भी जीत का जश्न मना रहे हैं और हम जीत कर भी हार पर आंसू बहा रहे हैं।

मैच शुरू होने से पहले दोनों देश सोशल मीडिया पर भिड़े गए। कोई टीम इंडिया को फौजी की उपाधि दे रहा तो कोई भारत को पाकिस्तान के खिलाफ हानिकारक बापू बताने की जुगत में लगा। मेरे लिए ये बड़ी अफसोस जनक बात रही कि इन सब में कही भी राष्ट्रीय खेल का जिक्र नहीं हुआ। जहां तक मुझे याद है तो हॉकी और क्रिकेट भारत को अंग्रेजी राज से विरासत में मिला है। लेकिन हम उस विरासत को बनाए रखने में विफल रहे।

रविवार को एक ही देश में भारत और पाकिस्तान के बीच 2 रोमांचक मैच थे। जहां एक तरफ स्टेडियम भरा हुआ था भारत माता की जय..भारत जीतेगा..के नारे लग रहे थे। वहीं दूसरी तरफ खामोशी के साथ भारतीय हॉकी टीम पाक की दे दना-दन धुलाई करने में लगा हुआ था। इतना ही नहीं उसके नापाक इरादों को याद दिलाने के लिए अपने हाथ पर काली पट्टी बांधकर विरोध भी जता रहा था।

किक्रेट स्टेडियम की चकाचौंध भरे माहौल को देखकर ऐसा लगा जैसे हम भूल चुके है कि हॉकी हमारे देश का राष्ट्रीय खेल है। एक समय था जब दुनिया भर में हॉकी के नाम पर भारत का डंका बजता था। दुनिया के दूसरे देश भारतीय हॉकी खिलाड़ियों की मिसाले देते थे। खेल की दुनिया में भारत, हॉकी के बेताज बादशाह के नाम से जाना जाता था। लेकिन समय के साथ दूसरे देश तो बेहतर होते गए। आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से वो ऊपर चढ़ते गए और हमारा प्रदर्शन लगातार खराब होता गया।

IMG-20170618-WA0003

आखिर में एक फोटो शेयर करना चाहूंगी शायद आपके भी व्हाट्सएप पर आई हो। कैप्शन लिखने की जरूरत मुझे लगी नहीं लेकिन इतना जरूर है अगर ऐसी परिस्थितियां सामने नहीं आती तो हॉकी की स्टिक फिर से याद ना आती। तो बात ऐसी है कि क्रिकेट के शोर में हॉकी को मत भूलिए वरना हाल वैसा ही होगा जैसे कहने को हम सोशल है लेकिन बात सारी सोशल मीडिया पर होती है।

डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं