चर्चित हस्तियों से ज्यादा पॉपुलर हैं इन 5 लड़कियों के Virtual influencer चेहरे, जानें कैसे कमा रही हैं करोड़ों रुपये

0
703

टेक्नलॉजी ये कोई आम शब्द नहीं बल्कि ऐसा शब्द है जिसके कारनामे सामने आते ही आपका सिर चकरा जाएगा। टेक्नलॉजी की दुनिया में ऐसे-ऐसे भ्रम पैदा किए जा रहे हैं कि आप रियल और रील में फर्क तक नहीं कर पाएंगे। जैसे कि वर्चुअल इन्फ्लुएंसर की दुनिया में हो रहा है।

वर्चुअल इन्फ्लुएंसर (Virtual influencer) एकतरह की टेक्नलॉजी है। जिसका प्रयोग आभासी लोगों को बनाने के लिए किया जाता है। या ये कह ले कि एक आभासी दुनिया बनाने में। जी हां अभी तक हमलोग सोशल मीडिया पर अपना अकाउंट बनाते थे लोगों से बात करते थे हमें सब रियल लगता था लेकिन ऐसा नहीं है। ये जरूरी नहीं कि आप सोशल मीडिया पर किसी रियल व्यक्ति से बात कर रहे हैं ये वर्चुअल यानी कंप्यूटर जनित मानव से भी बात कर सकते हैं।

दरअसल, सोशल मीडिया की दुनिया में अब वर्चुअल या यूं कहें कि आभासी लोगों की मौजूदगी शुरू हो गई है। धीरे-धीरे ये आभासी लोग सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हो रहे हैं और अरबों रुपया भी कमा रहे हैं। इसे टेक्नलॉजी की भाषा  मेटा इन्फ्लुएंसर कहा जाता है।

ये भी पढ़ें: एक मिनट में कंगाल कर देंगे ये 17 खतरनाक मोबाइल ऐप्स, Google ने किया डिलीट, आप कब करेंगे?

क्या है वर्चुअल इन्फ्लुएंसर मार्केट-
नई टेक्नलॉजी ने अब मार्केट में कई नए विकल्प दिए हैं। जिसके दाम कम है और मुनाफा ज्यादा। दरअसल, वर्चुअल इनफ्लुएंसर मार्केटिंग इतनी ज्यादा बढ़ गई है। जिसके कारण प्राइवेट कंपनी अपने प्रोडक्ट को वर्चुअल इनफ्लुएंसर मार्केटिंग के जरिए ही प्रमोट कर रही है। ताकि इस मार्केटिंग के जरिए लोग ज्यादा से ज्यादा आकर्षित होकर के प्रोडक्ट को खरीदें। आज की तारिख में इनफ्लुएंसर मार्केटिंग का ट्रेंड भारत सहित विदेशों में भी टॉप का है।

कई ब्रांड्स इन वर्चुअल इंसानो से जुड़े अभियानों पर खूब पैसा खर्च कर रहे हैं। आज कल इंसान खुद से ज्यादा फोन स्क्रीन्स के बात करना पसंद करते हैं, ऐसे वह वर्चुअल इन्फ्लुएंसर को फॉलो करते हैं। कंप्यूटर जनित मानव यानी वर्चुअल इंन्फ्लुएंसर को विशेषज्ञों के अनुसार इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर एक औसत मानव प्रभावक की तुलना में 10 गुना अधिक जुड़ाव देख सकते हैं.

एक अनुमान के मुताबिक अगले पांच साल में वैश्विक इन्फ्लुएन्सर बाजार 87,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। रोजी की तरह एक इन्फ्लुएंसर लिल मिकेला ने कथित तौर पर एक साल में 85 करोड़ रुपये अपने मालिक के लिए कमाएं।

कैसे काम करता है कायरा मेटा इंफ्लुएंसर?
कायरा (जोकि एक आभासी महिला है) को टूर एंड ट्रेवलर्स के रूप में सोशल मीडिया पर लोगों के बीच लॉन्च किया है। कायरा का इंस्ट्राग्राम और फेसबुक पर kyraonig नाम से अकांउट है। जिसमें कायरा को मुबई का रहने वाला बताया गया है। कायरा के सोशल मीडिया पर इतने फॉलोवर्स है कि आपकी गिनती कम पड़ जाएंगी। अब जबकि कायरा इतनी फेमस हो गई है कि तो कई नामी ब्रांड्स अपने प्रोडक्ट के लिए कायरा से संपर्क कर रहे हैं ताकि कायरा उनके विज्ञापन को करें और उसकी जानकारी लोगों तक पहुंचाए।

ये भी पढ़ें: ‘फ्लेवर्ड कंडोम’ को पानी में उबालकर पी रहे हैं स्टूडेंट, प्रशासन और दुकानदारों के उड़े होश

भारत के अलावा और किस देश में है मेटा इंफ्लुएंसर?
दक्षिए कोरिया में रोजी नाम से मेटा इंफ्लुएंसर है। जिसको सिडस स्टूडियो एक्स ने पिछले साल अगस्त में विकसित किया था, 22 साल की उम्र में, रोज़ी के इस्ट्राग्राम पर 1,30,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं। रोजी इंस्ट्राग्राम से अबतक 6 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर चुकी है।

सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सोशल मीडिया की दुनिया में मेटा इंफ्लुएंसर के रूप में केवल भारत कि कायरा या कोरिया की रोजी ही नहीं बल्कि 200 से अधिक मेटा इंफ्लुएंसर सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं। रिपोर्ट में आगे लिखा गया है कि Rozy के पीछे CGI (कंप्यूटर जनित इमेजरी) तकनीक नई नहीं है। यह आज के मनोरंजन उद्योग की जरुरत बन चुका है, जहां कलाकार इसका उपयोग फिल्मों, कंप्यूटर गेम और संगीत वीडियो में यथार्थवादी अमानवीय पात्रों को गढ़ने के लिए करते हैं। लेकिन इसका उपयोग हाल ही में प्रभावशाली रुप में नजर आ रहा है।

उघोग जगत अपने प्रोडक्ट के विज्ञापन के लिए अब इंसानी चेहरे की तरह दिखने वाले मेटा इंफ्लुएंसर का इस्तेमाल कर रही है। इसमें कंपनी का बड़ा फायदा है। पहले कंपनी विज्ञापन देने के लिए करोड़ों खर्चा करती थी लेकिन वर्चुअल इंफ्लुएंसर तकनीक के आने के बाद कंपनियों का विज्ञापन पर खर्चा कम बल्कि मुनाफा अधिक हो गया है।

वर्चुअल इंफ्लुएंसर जोखिमभरा
हर नई तकनीक जितना आपको फायदा देती है उतना आपका नुकसान भी करती है ऐसा ही जोखिम मेटा इंफ्लुएंसर के साथ जुड़ा हुआ है। सीएनएन की रिपोर्ट में एक ब्लॉग का जिक्र करते हुए लिखा कि “ब्रांडों को इस उभरते हुए माध्यम की नैतिक उलझनों को नेविगेट करने और संभावित खतरों से बचने में मदद करने के लिए, (मेटा) भागीदारों के साथ काम कर रहा है ताकि (आभासी प्रभावकों) के उपयोग का मार्गदर्शन करने के लिए एक नैतिक ढांचा विकसित किया जा सके।”

हालाँकि, भले ही बड़ी पीढ़ी काफी संशय में हो, लेकिन युवा वर्ग आभासी प्रभावितों के साथ संवाद करने में सहज है।इंचियोन में रहने वाली 23 वर्षीय ली ना-क्यूंग ने लगभग दो साल पहले रोजी को फॉलो करना शुरू किया, यह सोचकर कि वह एक वास्तविक व्यक्ति है। सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि रोजी ने उसके पीछे-पीछे पीछा किया, कभी-कभी उसकी पोस्ट पर टिप्पणी की, और एक आभासी दोस्ती खिल गई – एक जो ली को सच्चाई का पता चलने के बाद भी कायम रही। हमने दोस्तों की तरह संवाद किया और मुझे उसके साथ सहज महसूस हुआ – इसलिए मैं नहीं उसे एआई के रूप में नहीं बल्कि एक वास्तविक दोस्त के रूप में सोचें,” ली ने कहा।

वर्चुअल इंफ्लुएंसर से कई नामी हस्तियों को होगा नुकसान-
आज कंपनियां कोई भी छोटा-मोटा विज्ञापन के लिए चर्चित लोगों को ऑफर्स देती है क्योंकि उनके सोशल मीडिया पर काफी फॉलोवर्स होने के साथ लोग उनकी प्रतिभा, सुंदरता आदि से प्रभावित होते हैं लेकिन जैसा कि हमने पहले भी बताया कि वर्चुअल इंफ्लुएंसर रियल इंसान से 10 गुना ज्यादा प्रभावी साबित होते हैं। इसलिए आने वाले समय में नामी हस्तियों के लिए वर्चुअल दुनिया के चर्चित चेहरे कायरा और रोजी भारी पड़ सकते हैं।

जानिए 2022 की नामी वर्चुअल इंफ्लुएंसर-
भारत की कायरा- (साल 2021)
21 साल की कायरा (Kyra) के इंस्टाग्राम पर 99 हज़ार से ज्यादा फॉलोअर्स हो चुके हैं। कायरा के ज्यादातर फॉलोअर्स पुरुष हैं। कायरा अपने अकाउंट पर टूर एंड ट्रेवलर की चीजें शेयर करती है।

दक्षिण कोरिया की रोजी (साल 2020)
दक्षिण कोरिया की रोजी सोशल मीडिया पर फैशन आइकन है। कोरिया की अलग-अलग लोकेशन से पोस्ट शेयर करती है। इस्ट्राग्राम पर 1,30,000 से अधिक फॉलोअर्स हैं। रोजी इंस्ट्राग्राम से अबतक 6 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर चुकी है।

मैगलु की लू (साल 2019)
मैगजीन लुइजा की ई-कॉमर्स वेबसाइटों के लिए एक इन-स्टोर विक्रेता की आवाज के रूप में 2003 में बनाई गई, लू पहली बार 2019 में मैगलु के YouTube चैनल पर दिखाई दी। जैसे-जैसे उनका प्रभाव बढ़ता गया, वह ब्रांड की प्रवक्ता बन गईं और लू के इंस्ट्राग्राम पर 32 मिलियन फॉलोवर्स है।

मिकेला सूसा
मिकेला को अक्सर मुख्यधारा की लोकप्रियता हासिल करने वाला पहला अतियथार्थवादी आभासी प्रभावक माना जाता है। सोशल मीडिया पर, उनके प्रशंसक ब्रुड द्वारा बनाई गई 19 वर्षीय रोबो लड़की के रूप में एलए में उनके जीवन का अनुसरण करते हैं।

जकार्ता की थलस्या (साल 2018)
थलस्या इंडोनेशिया के जकार्ता की रहने वाली हैं। थलस्या का इंस्ट्रा टूर एंड ट्रेवलिंग की पिक्चर्स से भरा हुआ है। थलस्या साल 2018 में सोशल मीडिया पर आई थी।

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं