भारतीय सीमा पर चीन ने खोद डाली सुरंगें, बना रहा बंकर, तस्वीरों से हुआ खुलासा, क्या है मकसद?

इससे पहले चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया है। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।

2
974

चीन (China) विवादित अक्साई चिन (Aksai Chin)  क्षेत्र में सुरंग बना रहा है। मैक्सार की सैटेलाइट तस्वीरों में इसका खुलासा हुआ है। देपसांग से 60 किमी दूर एक नदी घाटी के किनारे पहाड़ी पर सुरंगें होने का दावा है। इनका इस्तेमाल सैनिकों और हथियारों को रखने के लिए किया जा सकता है।

जियो-इंटेलिजेंस एक्सपर्ट्स ने तस्वीरों के आधार पर बताया कि नदी के दोनों तरफ ऐसे 11 स्ट्रक्चर हैं, जहां बंकर बनाए जा रहे हैं। 18 अगस्त की सैटेलाइट तस्वीरें घाटी के किनारे चार नए बंकरों को बनाए जाने का संकेत देती हैं। साथ ही तीन सुरंग क्षेत्रों के साथ हर साइट पर दो और पांच पोर्टल या सुरंगें हैं, जो पहाड़ी पर बनाई जा रही हैं। कई जगहों पर भारी मशीनरी भी नजर आ रही है।

घाटी के बीच में मौजूद एक सड़क भी पहले से चौड़ी कर दी गई है। तस्वीरों से ये भी पता चलता है कि सीधे हमलों से बचने के लिए बंकरों के चारों ओर मिट्टी उठाई गई है। एंट्री और एग्जिट पॉइंट पर एक कांटा जैसा स्ट्रक्चर बनाया गया है, जो बमबारी के असर को कम कर सकेगा। सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट डेमियन सायमन ने कहा- सीमा के इतने करीब अंडरग्राउंड फैसिलिटी बनाकर चीन अक्साई चिन में भारतीय एयरफोर्स की मौजूदा बढ़त को कम करना चाहता है।

चीन ने नया मानचित्र भी जारी किया
इससे पहले सोमवार को चीन ने एक मैप जारी कर अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बताया था। इसके अलावा उन्होंने ताइवान और साउथ-चाइना सी को भी अपने क्षेत्र में दिखाया था। नेचुरल रिर्सोसेस मिनिस्ट्री की ओर से होस्ट की जाने वाली स्टैंडर्ड मैप सर्विस की वेबसाइट पर भी नया मैप लॉन्च किया गया है। यह मैप चीन और दुनिया के विभिन्न देशों की सीमाओं की ड्रॉइंग पद्धति के आधार पर तैयार किया गया है।

अप्रैल में अरुणाचल के 11 जगहों के नाम बदले थे
इससे पहले चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया है। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि हमने चीन के तथाकथित 2023 मानक मानचित्र पर चीनी पक्ष के साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से कड़ा विरोध दर्ज कराया है। मानचित्र में भारत के जिन क्षेत्र पर दावा किया गया है, हम इन दावों को खारिज करते हैं क्योंकि इनका कोई आधार नहीं है। चीनी पक्ष के ऐसे कदम केवल सीमा मुद्दे के समाधान को जटिल बनाएंगे।

चीनी विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को बीजिंग में कहा कि 23 अगस्त को चीन के राष्ट्रीय संसाधन मंत्रालय ने मानक मानचित्र का 2023 संस्करण जारी किया। उन्होंने कहा कि सामान्य प्रक्रिया के तहत नक्शे का 2023 एडिशन जारी किया है। चीन की संप्रुभता और अखंडता का ध्यान रखते हुए इस नक्शे को जारी किया गया है। हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष उद्देश्यपूर्ण और शांत रह सकते हैं, और मुद्दे की अधिक व्याख्या करने से बच सकते हैं।

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा चीन के दावों से कुछ नहीं होता

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- चीन ने नक्शे में जिन इलाकों को अपना बताया है, वो उनके नहीं हैं। ऐसा करना चीन की पुरानी आदत है। अक्साई चिन और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा है। पहले भी चीन भारत के हिस्सों के लेकर नक्शे निकालता रहा है। उसके दावों से कुछ नहीं होता। हमारी सरकार का रुख साफ है। बेकार के दावों से ऐसा नहीं हो जाता कि किसी और के इलाके आपके हो जाएंगे।

क्या है विवाद की जड़?
चीन अरुणाचल प्रदेश में 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर अपना दावा करता है जबकि भारत कहता है कि चीन ने पश्चिम में अक्साई चिन के 38 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत बताता है। दोनों देशों के बीच 3,500 किलोमीटर (2,174 मील) लंबी सीमा है। भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। ये सरहद तीन सेक्टरों में बंटी हुई है – पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश।दोनों देशों के बीच अब तक पूरी तरह से सीमांकन नहीं हुआ है क्योंकि कई इलाक़ों के बारे में दोनों के बीच मतभेद हैं।


मैकमोहन लाइन को नहीं मानता चीन
भारत पश्चिमी सेक्टर में अक्साई चिन पर अपना दावा करता है लेकिन ये इलाका फिलहाल चीन के नियंत्रण में है। भारत के साथ 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने इस पूरे इलाक़े पर कब्जा कर लिया था। वहीं पूर्वी सेक्टर में चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है। चीन कहता है कि ये दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है। चीन तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के बीच की मैकमोहन रेखा को भी नहीं मानता है।

चीन का कहना है कि 1914 में जब ब्रिटिश भारत और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने ये समझौता किया था, तब वो वहां मौजूद नहीं था। उसका कहना है कि तिब्बत चीन का अंग रहा है इसलिए वो खुद कोई फैसला नहीं ले सकता। 1950 में चीन ने तिब्बत को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया।  कुल मिलाकर चीन अरुणाचल प्रदेश में मैकमोहन लाइन को नहीं मानता और अक्साई चिन पर भारत के दावे को भी खारिज करता है।

साल 2020 में सैनिक के बीच हिंसक संघर्ष
जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिक के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था। भारत के 20 सैनिकों की मौत हुई थी और चीन से आई जानकारी के मुताबिक़ उसके चार सैनिक मरे थे। उसके बाद भी दोनों देशों के सैनिकों के बीच सीमावर्ती इलाको में हल्की-फुल्की झड़पें होती रही हैं।

चीन का यह कदम तब आया है जब हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग ने दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी। जिस पर विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा था कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अनसुलझे मुद्दों पर भारत की चिंताओं पर चर्चा की थी।

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।

Comments are closed.