जो भारत अपने भगवान की मूर्ति नहीं बना सकता वो चीन से क्या मुकाबला करेगा

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विश्व: जो देश अपने भगवान की मूर्ति नहीं बना सकता वो क्या चीन का मुकाबला करेगा, ऐसा कहना है अमेरिका के एक प्रोफेसर का। अमेरिकी प्रोफेसर के सभी दावें उन तमाम नेताओं के दावों को झूठा ठहरा देता है जिन्होंने देश को दुनिया की उभरती आर्थिक महाशक्तियों में से एक बताया था। अमेरिका में न्यू जर्सी स्थित रट्जर्स बिजनेस स्कूल (Rutgers Business School) के प्रोफेसर फारक जे.कॉन्ट्रैक्टर (Farok J. Contractor) ने अपने एक लेख में किया है।

यह ‘येल ग्लोबल’ नाम की वेबसाइट पर मेड इन चाइनाः मिलियंस ऑफ हिंदू गॉड्स (Made in China: Millions of Hindu Gods) शीर्षक से छपा है। उन्होंने इसमें विस्तार से बताया है कि कैसे कम कीमतों वाले सामान के मामले में चीन भारत को मात देता है। वह भी ड्यूटी और परिवहन कीमतें चुकाने के बाद। प्रोफेसर ने इसके पीछे सात प्रमुख कारण बताए हैं।

पैमाना- सबसे पहले वह पैमाने की बात करते हैं। कहते हैं कि चीन में अधिकतर चीजों का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है, जिससे चीजों की कीमतें कम हो जाती हैं।

उत्पादकता- मैकिंसे (Mckinsey) रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहते हैं कि औसतन चीन और थाईलैंड के मुकाबले भारत में लोग चार-पांच गुणा कम उत्पादन करते हैं। ज्यादा आउटपुट से चीन को इस मामले में लाभ मिलता है।

भ्रष्टाचार- प्रोफेसर आगे अपने लेख में लिखते हैं कि करप्शन परसेप्शंस इंडेक्स 2016 में भारत और चीन 176 देशों की सूची में 79वें पायदान पर हैं। मगर दोनों जगह अलग-अलग तरह से भ्रष्टाचार फैला हुआ है। चीन में यह बड़े स्तर पर है, जो कि रोजमर्रा के जीवन और व्यापार को प्रभावित नहीं करता। भारत में यह छोटे स्तर से शुरू हो जाता है और जगह-जगह फैलता है, जिससे हर दिन मुश्किल होती है।

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परिवहन और बिजली- चीन से मुकाबले की बात में वह परिवहन व्यवस्था का जिक्र भी करते हैं। चीन इस मामले में भी हमसे आगे है। जबकि बिजली के मसले पर उनका मानना है कि भारत में अपर्याप्त बिजली आपूर्ति और अघोषित कटौती फैक्ट्रियों में उत्पादन पर दुष्प्रभाव डालती है।

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नौकरशाही और सब्सिडी- चीन में व्यापार करना आसान है। यहां कुछ ही नियम-कायदों का पालन करना होता है और कम वक्त में चीजों के लिए मंजूरी मिल जाती है। अंत में सब्सिडी को लेकर कहते हैं कि दोनों ही देश इसका सहारा लेते हैं। लेकिन चीन इस मामले में बहुत आगे है। चीन में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने वाली 50 अलग-अलग कंपनियां न केवल भारत में बिकती हैं, बल्कि वे फ्रैंकफर्ट और लास वेगास के ट्रेड फेयर्स में नजर आती हैं। वे इसके अलावा क्रिस्चियन-बौध धर्म के भगवानों और महात्माओं की मूर्तियों के अलावा घर सजाने वाले सामान भी बनाते हैं। मार्केटिंग के खर्चे में कई बार यहां कर की कटौती की जाती है। कुछ मौकों पर सब्सिडी भी मिलती है।

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