COVID-19 पर नई रिसर्च, तबाही मचाने वाले कोरोना के सामने आए 3 स्ट्रेन, जानें भारत में कौनसा?

रिसर्च के दौरान नए कोरोनावायरस के पूरे समूह की पड़ताल की गई। इनमें काफी तेजी से म्यूटेशन हुआ है। किसी स्थान या वहां के वातावरण या अन्य कारणों से वायरस की कोशिका, डीएनए और आरएनए में होने वाले बदलाव को म्यूटेशन कहते हैं।

0
1116

विश्व डेस्क: कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस (COVID-19) को लेकर एक नई शोध की है। इस शोध में कोरोना के ऐसे 3 स्ट्रेन्स का पता लगाया है जिन्होंने पूरी दुनिया में संक्रमण फैलाया है। इन्हें टाइप-ए, बी और सी नाम दिया गया है। शोधकर्ताओं ने संक्रमित हुए इंसानों में से वायरस के 160 जीनोम सीक्वेंस की स्टडी की।

ये सीक्वेंस अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में फैले कोरोनावायरस से काफी हद तक मिलते-जुलते थे, न कि वुहान से। ये वायरस के वो स्ट्रेन थे जो चमगादड़ से फैले कोरोनावायरस से मिलते थे। शोधकर्ता डॉ. पीटर फॉर्सटर के मुताबिक, रिसर्च के दौरान नए कोरोनावायरस के पूरे समूह की पड़ताल की गई। इनमें काफी तेजी से म्यूटेशन हुआ है।

किसी स्थान या वहां के वातावरण या अन्य कारणों से वायरस की कोशिका, डीएनए और आरएनए में होने वाले बदलाव को म्यूटेशन कहते हैं। रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने मैथमेटिकल नेटवर्क एल्गोरिदिम की मदद से कोरोना के पूरे परिवार का खांका खींचा।  शोधकर्ता टीम ने 24 दिसम्बर 2019 से 4 मार्च 2020 के बीच दुनियाभर से सैम्पल लेकर डाटा तैयार किया। नए कोरोनावायरस के तीन ऐसे प्रकार मिले जो एक-दूसरे जैसे होने के बावजूद अलग थे।

  • टाइप-ए: यह कोरोनावायरस का वास्तविक जीनोम था, जो वुहान में मौजूद वायरस में है। इसका म्यूटेशन हुआ और उनमें पहुंचा जो अमेरिकन वुहान में रह रहे थे। यहां से लौटने वाले अमेरिकी और ऑस्ट्रेलिया के लोगों में यही वायरस उनके देशों में पहुंचकर फैला।
  • टाइप-बी : पूर्वी एशियाई देशों में कोरोनायरस का यह स्ट्रेन सबसे फैला। हालांकि यह स्ट्रेन एशिया से निकलकर दूसरे देशों में अधिक नहीं पहुंचा।
  • टाइप-सी: यह स्ट्रेन खासतौर पर यूरोपीय देशों पाया गया। इसके शुरुआती मरीज फ्रांस, इटली, स्वीडन और इंग्लैंड में मिले थे। रिसर्च के मुताबिक, इटली में यह वायरस जर्मनी से पहुंचा और जर्मनी में इसका संक्रमण सिंगापुर के लोगों के जरिए हुआ।

भारत में कोरोनावायरस सिंगल म्यूटेशन में
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के विशेषज्ञ डॉ. सीएच मोहन राव ने कहा, भारत में कोरोनावायरस सिंगल म्यूटेशन में है। इसका मतलब है कोरोनावायरस अपना रूप नहीं बदल पा रहा है। अगर ये सिंगल म्यूटेशन में रहेगा तो जल्दी खत्म होने की सम्भावना है। लेकिन अगर वायरस का म्यूटेशन बदलता है तो खतरा बढ़ेगा और वैक्सीन खोजने में भी परेशानी होगी।

पहली बार एल्गोरिदिम तकनीक का प्रयोग
शोधकर्ताओं का दावा है कि यह पहली बार है जब संक्रमण की पूरी चेन पता लगाने के लिए मैथमेटिकल नेटवर्क एल्गोरिदिम का इस तरह प्रयोग किया गया है। आमतौर पर इस तकनीक का प्रयोग इंसान की हजारों साल पुरानी प्रजाति के बारे में पता लगाने के लिए किया जाता है। इसमें डीएनए अहम रोल निभाता है।

कोरोना के मामले में जीनोम सीक्वेंस की भूमिका भी डीएनए की तरह ही है। जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस के मुताबिक, जो वायरस चमगादड़ और पैंगोलिन में मिला है उसका जुड़ाव टाइप-ए से है। टाइप-बी का म्यूटेशन ए से हुआ है। टाइप-सी बी से विकसित हुआ है।

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें  फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।