महिलाओं के सैनिटरी पैड्स को उबालकर पी रहे हैं टीनेजर्स, पढ़िए हैरान कर देनी वाली ये रिपोर्ट

कूड़े-कचरे से उठाए गए सैनिटरी पैड्स को लोग उबलते पानी में डाल देते हैं। ठंडा होने पर वे इस लिक्विड को साथ बैठकर पीते हैं।

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बाजार में मिलने वाले मंहगे नशों के बारें में तो आपको मालूम होगा लेकिन आज जिस नशे के बारें में बताने जा रहे हैं उसको जानकर आपको विश्वास नहीं होगा। कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि युवाओं में नशे को लेकर अब नया ट्रेंड्स देखा जा रहा और ये नया नशा महिलाओं द्वारा पीरियस में इस्तेमाल किए जाने वाला सैनेटरी पैड्स है।

जी हां इंडोनेशिया नेशनल ड्रग एजेंसी (BNN) के मुताबिक, सैनिटरी पैड फॉर्मूला को पीने से लोगों को नशे और बेसुध होने का एहसास होता है। इसके लिए प्रोडक्ट में मौजूद क्लोरीन जिम्मेदार है। हालांकि इसका नमूना भारत में देखने को नहीं मिला है लेकिन इंडोनेशिया में ये सैनिटरी पैड्स का चलन काफी चलन में या मान लीजिए टीनेजर्स में ये एक प्रकार का ट्रेंड है।

बीएनएन के अध्यक्ष सीनियर कमांडर सुप्रिनार्टो ने VICE से बातचीत में बताया, ‘वे जिस प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह लीगल है लेकिन इसे जिस उद्देश्य के लिए बनाया गया है, उस रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है जो सही नहीं है। इसे ड्रग की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।

‘उन्होंने बताया,  कूड़े-कचरे से उठाए गए सैनिटरी पैड्स को लोग उबलते पानी में डाल देते हैं। ठंडा होने पर वे इस लिक्विड को साथ बैठकर पीते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जकार्ता की राजधानी जावा से कई लोगों को सैनिटरी पैड्स से नशा करते पाए जाने पर गिरफ्तार किया गया है। बेलिटुंग द्वीप के 14 साल के एक बच्चे ने स्थानीय अखबार को बताया, ‘पैड का रैपर हटाकर इसे एक घंटे तक उबाला जाता है और उसके बाद इसे निचोड़कर लिक्विड एक कंटेनर में रख लिया जाता है। ‘इंडोनेशिया में हर महीने लगभग अरबों टैम्पून्स फेंक दिए जाते हैं। दरअसल, यहां लोगों के बीच धारणा है कि जो महिला टैम्पून का इस्तेमाल करती है, वह वर्जिन नहीं होती है। रिपोर्ट्स की मानें तो 2016 में भी इसी तरह से नैपीज का इस्तेमाल किया जा रहा था।

इंडोनेशियन कमिटी ऑन चाइल्ड प्रोटेक्शन (KPAI) में कमिश्नर सिट्टी हिकमावट्टी ने कहा, ‘अधिकतर बच्चे बहुत स्मार्ट हैं, इंटरनेट की मदद से ये कई नए वैरिएंट्स और मिश्रण बना सकते हैं।’उन्होंने कहा, यहीं से खतरा बढ़ जाता है क्योंकि हम केवल किसी एक मिश्रण को लेकर चिंतित होते हैं और बाकी को नजरअंदाज कर देते हैं। इससे साइड इफेक्ट होने का खतरा ज्यों का त्यों बना रहता है। इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि वे इस बात की जांच करेंगे कि टैम्पून्स और पैड्स में कौन से कैमिकल्स हैं जिससे इतना नशा होता है।

स्ट्रेट्स टाइम्स से बातचीत में इंडोनेशिया में सेफ ड्रिंक की पैरवी कर रहे जिमी गिटिंग ने कहा, मुझे नहीं पता कि किसने इसकी शुरुआत की लेकिन करीब 2 साल पहले यह ट्रेंड शुरू हुआ। फिलहाल इसके खिलाफ कोई कानून नहीं है। कुछ बच्चे मच्छरों से बचने के लिए बनाए गए पेस्ट और कोल्ड सीरप का भी नशे की तरह इस्तेमाल करते हैं, इन्हें रोकने के लिए भी कोई कानून नहीं है।

वाइस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह की गतिविधियों में लिप्त अधिकतर बच्चे वंचित तबकों से हैं और कई तो सड़कों पर रहने वाले हैं। इससे पहले ग्लू को सूंघकर भी ड्रग का काम लिया जाता था लेकिन इंटरनेट पर नई जानकारियों के साथ वे अब दूसरी चीजों की तरफ बढ़ गए हैं।

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