सियासत

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सियासत में ये इस कदर डूब जाते हैं,

वीरो की शहादत   पर भी सवाल उठाते हैं,

जो इनको सच का आइना दिखलाये,

उनको ये देशद्रोही और गद्दार बताते हैं,

ज़रूरत पड़ने पर दुश्मन को गले लगाते हैं,

कभी जिनकी बुराई करते अब उनकी तारीफ करते नज़र आते हैं,

कितने  मुखोटै  लगा रखे हैं इन्होंने चेहरे पर,

रोज़ एक नए चेहरे के साथ नज़र आते हैं,

ये राजनीति है या जंग का मैदान,

सब एक दूसरे पर तलवार उठाये जाते हैं,

मज़हब को मुल्क से ऊपर बताते हैं,

वीरो की कुर्बानी को चंद सिक्को में तुलवाते हैं,

ज़रूरत के वक़्त आती है इनको जनता की याद,

और खुद को ये आवाम का मसीहा बताते हैं।