पुस्तक समीक्षा: लोकेश गुलयानी की नई किताब ‘लड़कियां होंगी’

किताब पढ़ते हुए ये महसूस जरुर होगा कि किताब का नाम ‘लड़कियां होंगी’ ही क्यों रखा गया लेकिन लेखन ने भूमिका में लिखा है कि इस कहानी संग्रह के पात्र आम ज़िंदगी से निकले कुछ किरदार हैं

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पुस्तक: लड़कियां होंगी

लेखक: लोकेश गुलयानी

प्रकाशक: श्रीजा पब्लिकेशन

मूल्य- 160 रुपये

पुस्तक समीक्षा:

दिल्ली के श्रीजा पब्लिकेशन से लेखक लोकेश गुलयानी की नई किताब ‘लड़कियां होंगी’ आई है। इससे पहले लेखक की  छ: किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। ‘लड़कियां होंगी’ यह एक कहानी संग्रह है। जीवन के अलग-अलग रंगों को दिखाती इस किताब में तेरह कहानियां हैं। किताब का नाम पढ़ते ही लगेगा जैसे लेखक ने अपना ज्ञान बांटने की कोशिश की होगी लेकिन ऐसा नहीं इसे पढ़ते हुए आप हर अध्याय में अपने जीवन के तमाम लोगों को याद करते हैं। कहानी ऐसा चित्र खींचती हैं कि मन तितली बन पुराने दिनों में घूम आता है।

किताब पढ़ते हुए ये महसूस जरुर होगा कि किताब का नाम ‘लड़कियां होंगी’ ही क्यों रखा गया लेकिन लेखन ने भूमिका में लिखा है कि इस कहानी संग्रह के पात्र आम ज़िंदगी से निकले कुछ किरदार हैं। इसलिए कहानी संग्रह का शीर्षक भी एक कहानी से लिया गया है। किताब की ‘मुनीश ठाकुर’ और फ्लैक कहानी अच्छी है। कहानी में पुरुषों की भावनाओं, उनकी जिंदगी में आने वाले दबावों का भी जिक्र किया गया है। जिसे हर पुरुष कभी-न कभी अपनी जिंदगी में जरुर महसूस करता है।

अब बात लेखक की तो लोकेश गुलयानी पेशे से जनसंपर्क सलाहकार हैं। लेखक पिछले आठ सालों से लेखन में हैं और अबतक छ किताबें प्रकाशित हो चुकी है। ‘लड़कियां होंगी’ में लेखक लिखते भी हैं और जो लिखते हैं उसे जीते भी दिखते हैं। किताब को बड़े सरल तरीके से लिखा गया है। किताब का आवरण बड़ा सुंदर है।

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