13 साल पुराना कानून तोड़ इस देश ने दी समलैंगिक शादी को मान्यता

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कैनबरा: ऑस्ट्रेलिया में समलैंगिक शादी को मान्यता मिल गई है। इसके लिए तैयार किया गया बिल गुरुवार को ऊपरी सदन में 43-12 मत से पास हो गया। निचले सदन में बिल पहले ही पारित हो चुका है। देश की जनता से भी इस बिल पर वोटिंग कराई गई थी। सर्वे में देश की कुल आबादी में से 79.50% लोगों ने भागीदारी की। इनमें से 61.60% लोगों ने इसके पक्ष में वोट किया।

जैसे ही ऊपरी सदन और जनता की वोटिंग के नतीजे सार्वजनिक किए गए, ऑस्ट्रेलिया की संसद से लेकर सड़क तक लोगों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। सांसदों ने भी इस बिल को एक सकारात्मक बदलाव बताया। ऑस्ट्रेलिया ने 2004 में समलैंगिक शादी पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब 13 साल बाद इस कानून में बदलाव किया है। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाला दुनिया का 26वां देश बन गया है।

ऑस्ट्रेलिया के अटॉर्नी जनरल जॉर्ज ब्रांडिस ने घोषणा की- ‘9 दिसंबर से समलैंगिक शादी को कानूनी ढांचा दिए जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। उम्मीद है कि क्रिसमस तक कानून बन जाएगा और 6 जनवरी से देश में इस तरह की शादियां हो सकेंगी।’ विपक्ष के नेता बिल शॉर्टन ने इस फैसले को समानता का अधिकार देने वाले और आधुनिक ऑस्ट्रेलिया की नींव बताया। शॉर्टन ने कहा कि इस फैसले से कई लोगों के पुराने जख्म भी भरे जा सकेंगे। दरअसल अब तक ऑस्ट्रेलिया के समलैंगिक जोड़ों को विवाह के लिए न्यूजीलैंड, कनाडा, ब्रिटेन और नीदरलैंड जैसे देशों में जाना पड़ता था।

शादी के बाद भी वो अपने देश वापस नहीं पाते थे, क्योंकि उनकी शादी को ऑस्ट्रेलिया में कानूनी मान्यता नहीं मिलती थी। इन सभी ऑस्ट्रेलियाई जोड़ों के विवाह को अब नया कानून बनते ही मान्यता मिल जाएगी। समलैंगिक विवाह के समर्थन में चलाए गए इक्विटी कैम्पेन के प्रमुख कार्यकर्ता एलेक्स ग्रीनविच ने कहा कि- ‘ये फैसला हमारी ओर से अगली पीढ़ी के लिए तोहफा है।’ बिल पास होते ही सांसद खुशी मनाते हुए देश का ऐतिहासिक गीत “आई एम ऑस्ट्रेलिया’ गाने लगे।

पीएम टर्नबुल हुए भावुक-
बिलपास होने पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल ने कहा- “प्यार, समानता और सम्मान के लिए ये बेहद शानदार दिन है। अब हमें रिश्ते निभाने, वादे निभाने, मिलकर रहने से कोई रोक नहीं सकता। ये एक ऐसा मुद्दा था, जिस पर हर ऑस्ट्रेलियाई ने अपनी बात रखी।’

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