राजस्थान: देश में पहली बार मां का दूध पहुंचाने के लिए बनाया ग्रीन कॉरिडोर

देश में मां के दूध का बैंक सबसे पहले वर्ष 1989 में मुंबई के धारावी में खुला।

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भीलवाड़ा: देश में पहली बार मां का दूध एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। राजस्थान के भीलवाड़ा से 150 किमी दूर अजमेर में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 62 लीटर मां का दूध पहुंचाया गया। आमतौर पर ग्रीन कॉरिडोर प्रत्यारोपण के लिए लिवर-किडनी आसानी से भेजने के लिए बनाया जाता है। मां का दूध लेकर भीलवाड़ा से चली वैन ने 150 किमी की दूरी करीब दो घंटे में तय की। इस दौरान दूध खराब नहीं हो, इसके लिए वैन के भीतर का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखा गया।

ट्रैफिक पुलिस थी तैनात

दूध लेकर चली वैन को ट्रैफिक में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए अधिक यातायात वाली जगहों पर ट्रैफिक पुलिस तैनात थी। टोल प्लाजा को भी पहले से सूचना दे दी गई थी। वैन के साथ एक पुलिस वाहन भी चल रहा था। जीपीएस से निगरानी भीलवाड़ा के अतिरिक्त कलेक्टर आनंदीलाल वैष्णव ने बताया कि वैन पर भीलवाड़ा में जीपीएस तकनीक के जरिए पूरे समय निगरानी की गई। उन्होंने बताया कि भीलवाड़ा में स्तनपान कराने वाली मांओं ने स्वैच्छा से 62 लीटर दूध दान किया था।

इसलिए चुना अजमेर

मां का दूध पहुंचाने के लिए अजमेर इसलिए चुना गया, क्योंकि अजमेर संभाग में एनएनआईसीयू में सबसे अधिक संख्या में नवजात भर्ती हैं। अजमेर में शिशु मृत्यु दर अधिक है और यह भीलवाड़ा के करीब भी है। अजमेर में मां के दूध का कोई बैंक नहीं है। बैंक में जमा मां का दूध इस्तेमाल करने से शिशु मृत्यु दर को 22 प्रतिशत से घटाकर 16 प्रतिशत पर लाया जा सकता है। राजस्थान सरकार की दूध बैंक परियोजना के राज्य सलाहकार देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि नवजात के लिए मां का दूध अमृत है और इसका दान उन मांओं के लिए भी वरदान है जो किन्हीं कारणों से अपने बच्चों को स्तनपान नहीं करा पाती हैं। राजस्थान में कार्यरत 11 दूध बैंकों को 3500 से अधिक मांओं ने दूध दान किया है।

मुंबई के धारावी से हुई शुरुआत

देश में मां के दूध का बैंक सबसे पहले वर्ष 1989 में मुंबई के धारावी में खुला। अभी देश में राजस्थान, पुणे, हैदराबाद व दिल्ली, कोलकाता में ऐसे 20 दूध बैंक खुल चुके हैं। हालांकि ब्राजील व ब्रिटेन की तुलना में यह संख्या बहुत कम है, जबकि भारत में हर साल 2.60 करोड़ बच्चे जन्म ले रहे हैं। ब्रिटेन में हर साल मात्र आठ लाख बच्चे पैदा होते हैं और वहां ऐसे बैंक की संख्या 17 है, जबकि ब्राजील में 250 है। ब्राजील में इससे शिशु मृत्यु दर में 73 प्रतिशत तक की गिरावट आई।

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