सांडों के खेल जलीकट्टू पर उठा है विवाद, जानें क्या है ये

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फसलों की कटाई के अवसर पर पोंगल के समय मदुरै में आयोजित होने वाला तमिलनाडु का विवादित खेल जल्लीकट्टू इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल्लीकट्टू के मामले पर ट्वीट किया। मोदी ने शनिवार (21 जनवरी) को ट्वीट किया, ‘हम लोगों को तमिलनाडु की संपन्न संस्क्रति पर गर्व है। तमिल लोगों की सांस्कृतिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हरसंभव कोशिश की जाएगी।’ दूसरे ट्वीट में मोदी ने लिखा, ‘केंद्र सरकार तमिलनाडु के विकास के लिए हर कदम उठाने को तैयार है।’

इससे पहले केंद्र सरकार ने जल्लीकट्टू के लिए आए अध्यादेश के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी थी। अब अगर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी मंजूरी दे देते हैं तो ‘जंतु निर्ममता निवारण अधिनियम’ में संशोधन करके राज्यपाल अध्यादेश जारी कर देंगे।

क्या होता है जल्लीकट्टू
जल्लीकट्टू, दरअसल मट्टू पोंगल का हिस्सा है, जिसे पोंगल के तीसरे दिन खेला जाता है। तमिल में मट्टू का अर्थ होता है बैल या सांड। पोंगल का तीसरा दिन मवेशियों को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन सांडों वाला खेल यानी कि जल्लीकट्टू आयोजित किया जाता है।

तमिलनाडु में क्यों है इसका इतना महत्व
दरअसल, जल्लीकट्टू के जरिये तमिलनाडु के किसान अपनी और अपने सांढ़ की ताकत का प्रदर्शन करते हैं। इससे उन्हें यह पता चल जाता है कि उनका सांढ़ कितना मजबूत है और ब्रिडिंग के लिए उनका उपयोग किया जाता है।

गौरतलब है कि जल्लीकट्टू पर लगे बैन को हटाने के लिए तमिलनाडु समेत पूरे देश में प्रदर्शन हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2014 में जल्लीकट्टू पर फैसला दिया था। उसमें इस खेल में सांडों के प्रयोग को बंद करने का ऐलान किया था। साथ ही कहा था जो भी ऐसा करेगा तो माना जाएगा कि उसने कानून तोड़ा है।

जल्लीकट्टू को बैन करने की मांग एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया और पीपल फॉर द एथिक्ल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल (PETA), कॉमपैशन अनलिमिटिड प्लस एक्शन (CUPA) ने की थी। उनके साथ पशुओं के अधिकार के लिए बने काफी सारे संगठन भी इसमें शामिल थे।