जानें निर्भया के दोषियों को फांसी से बचाने के लिए किस-किस कानून का इस्तेमाल किया गया?

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नई दिल्ली: दिल्ली के मुनिरका में 16 मार्च 2012 को निर्भया के साथ हुए गैंगरेप के चार दोषियों को शुक्रवार सुबह 5:30 बजे फांसी दे दी गई है। इसी के साथ निर्भया को 7 साल बाद इंसाफ मिल गया। निर्भया आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके परिवार कहना है कि आज निर्भया जिंदा होती तो एक अलग खुशी होती, पर आज न्याय मिला है। आज के दिन को हम निर्भया दिवस के रूप में मनाएंगे। आज का दिन महिलाओं और बच्चियों के नाम है।

इससे पहले दोषियों के वकील एपी सिंह ने मृत्युदंड से बचने के लिए और कोर्ट के आदेश के बाद दोषियों को बचाने के लिए कई पैतरें अपनाएं लेकिन आखिकार सत्य की जीत हो गई। अब आप सोच रहे होंगे कि इस मामले में इतना वक्त क्यों लगा तो जानिए दोषियों के वकील द्वारा फाइल की गई याचिकाओं के बारे में…जिसने इंसाफ दिलाने में की देरी।

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5 मई 2017: एससी ने चार दोषियों को मौत की सजा सुनाई और कहा कि यह मामला ‘दुर्लभतम’ की श्रेणी में आता है।

8 नवंबर 2017: चार दोषियों में से एक मुकेश ने मृत्युदंड की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली।

15 दिसंबर 2017: दोषी विनय शर्मा और पवन कुमार गुप्ता फैसले की समीक्षा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।

4 मई 2018: सुप्रीम कोर्ट ने विनय शर्मा और पवन गुप्ता के रिव्यू याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

9 जुलाई 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश, विनय और पवन की याचिकाओं को खारिज कर दिया।

10 फरवरी 2019: पीड़ित के परिवार दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने के लिए दिल्ली की अदालत पहुंचे।

10 दिसंबर 2019: दोषी अक्षय डेथ पेनल्टी की रिव्यू के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

13 दिसंबर 2019: दोषियों की रिव्यू के खिलाफ पीड़िता का मां सुप्रीम कोर्ट पहुंची।

18 दिसंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने अक्षय की रिव्यू याचिका खारिज की।

18 दिसंबर 2019: 4 दोषियों को मौत की सजा देने के लिए डेथ वारंट की दिल्ली सरकार ने मांग की।

18 दिसंबर 2019: दिल्ली की अदालत ने तिहाड़ के अधिकारियों को निर्देश दिया कि शेष कानूनी उपायों का लाभ उठाने के लिए वे दोषियों को नोटिस जारी करें।

19 दिसंबर: दिल्ली हाई कोर्ट ने पवन के अपराध के समय नाबालिग होने के दावे वाली याचिका को खारिज किया।

6 जनवरी 2020: दिल्ली की अदालत ने पवन के पिता द्वारा एकमात्र गवाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की शिकायत को खारिज कर दिया।

7 जनवरी 2020: दिल्ली की अदालत ने आदेश दिया कि चारों दोषियों को तिहाड़ जेल में 22 जनवरी के सुबह 7 बजे फांसी की सजा दी जाएगी।

14 जनवरी 2020: सुप्रीम कोर्ट ने विनय और मुकेश की क्यूरेटिव पीटीशन को खारिज किया।

14 जनवरी 2020: मुकेश ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की।

17 जनवरी 2020: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुकेश की दया याचिका खारिज की।

25 जनवरी 2020: दया याचिका खारिज होने के खिलाफ मुकेश सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

29 जनवरी 2020: दोषी अक्षय ने क्यूरेटिव पीटीशन लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

29 जनवरी 2020: दया याचिका को चुनौती देने वाली मुकेश की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया।

30 जनवरी 2020: सुप्रीम कोर्ट ने अक्षय कुमार सिंह की क्यूरेटिव पीटीशन को खारिज किया।

31 जनवरी 2020: पवन के नाबालिग होने के दावे को खारिज करने पर दायर रिव्यू याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया।

31 जनवरी 2020: दिल्ली की अदालत ने डेथ वारंट पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी।

1 फरवरी 2020: ट्राइल कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार हाई कोर्ट पहुंची।

2 फरवरी 2020: केंद्र की याचिका रक हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।

5 फरवरी 2020: हाई कोर्ट ने ट्राइल कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि चारों दोषियों को एक साथ सजा दी जाएगी। कोर्ट ने दोषियों को निर्देश दिया कि वो एक हफ्ते के भीतर सभी कानूनी बचाव करें. ऐसा न करने पर प्रशासन को कानून के मुताबिक कदम उठाने को कहा गया।

17 फरवरी 2020: विनय शर्मा ने याचिका दायर कर बेहतर मानसिक चिकित्सा मुहैया कराने की मांग की।

17 फरवरी 2020: 3 मार्च के लिए डेथ वारंट जारी की गई।

22 फरवरी 2020: अतिरिक्त सेशन्स जज धर्मेंद्र राणा ने विनय की याचिका खारिज कर दी। तिहाड़ जेल ने उसके दावो को मनगढ़ंत तथ्य बताए और कोर्ट को कहा कि सीसीटीवी फुटेज ये बताते हैं कि उसने खुद से ही जख्म किए हैं और वो किसी डिसऑर्डर से नहीं गुज़र रहा है।

25 फरवरी 2020: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो केंद्र द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर 5 मार्च को सुनवाई करेगा।

4 मार्च: राष्ट्रपति के समक्ष पवन की दया याचिका।

5 मार्च: दिल्ली की अदालत एक नया डेथ वारंट जारी करती है कि फांसी 20 मार्च को होगी।

17 मार्च: निर्भया के चार में से एक दोषी अक्षय दूसरी दया याचिका राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को भेजते हैं। तिहाड़ जेल के अधिकारियों को दी गई याचिका को गृह मंत्रालय को दिया जाना था, दिल्ली सरकार के ज़रिए।

17 मार्च: मुकेश की मां राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को तिहाड़ जेल में राम सिंह की फांसी की जांच करने के लिए एक अर्ज़ी देती है। मुकेश के बड़े भाई राम सिंह भी मामले में एक आरोपी थे। मुकेश की मां उनकी सज़ा पर ये कह कर रोक लगवाना चाहती है कि वो उस मामले में चश्मदीद है। एनएचआरसी याचिका को खारिज कर देता है।

17 मार्च: अक्षय की पत्नी पुनीता देवी बिहार के औरंगाबाद में तलाक का केस फाइल करतीं है, उनकी अर्जी में कहा जाता है कि वो उनके पति की फांसी के बाद विधवा का जीवन नहीं जीना चाहती। अदालत 19 मार्च को सुनवाई की तारीख देती है।

18 मार्च: दिल्ली हाई कोर्ट मुकेश के ट्रायल कोर्ट के उनके मामले को खारिज करने के बाद जारी याचिका पर बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख देती है। ट्रायल कोर्ट की अपनी याचिका में मुकेश ने कहा था कि उनकी मौत की सज़ा खारिज की जाए क्योंकि दिल्ली रेप के दिन वो शहर में नहीं थे।

18 मार्च: दिल्ली हाई कोर्ट मुकेश के दावे को खारिज करता है।

19 मार्च: आरोपी पवन गुप्ता सुप्रीम कोर्ट में क्युरेटिव पेटिशन डालते हैं – वे मांग करते है कि उनकी फांसी की सज़ा को आजीवन कारावास में बदला जाये, क्योंकि वो घटना के समय नाबालिग थे।

19 मार्च: सुप्रीम कोर्ट पवन की क्युरेटिव पैटिशन को अस्वीकार करता है।

19 मार्च: हाई कोर्ट के याचिका को रफा दफा करने के बाद मुकेश ये कह कर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाते कि दिसम्बर 2012 में अपराध के समय वो दिल्ली में नहीं थे।

19 मार्च: सभी आरोपी दिल्ली की अदालत 20 मार्च को होने वाली फांसी के वारंट को रुकवाने की ये कह कर अर्जी दायर करते हैं कि अभी निर्णय बाकी है. जज धर्मेंद्र राणा आदेश सुरक्षित रखते हैं।

19 मार्च: सर्वोच्च न्यायालय मुकेश की याचिका को खारिज करते है।

19 मार्च: सर्वोच्च न्यायालय अक्षय की याचिका को खारिज करते है जिसमें उन्होंने अपनी दूसरी दया याचिका को खारिज किए जाने पर दायर किया था।

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