मानवीयता के व्यापार के रोकने होंगे ये माध्यम, वरना वो दिन दूर नहीं…

पैसों की खेती करने के लिए मानवीयता का व्यापार करने वालें लोगों को समझ में आएगा कि अनैतिक तरीके से सोचना कभी सही नहीं होता ।

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एक खबर थी जहां कानपुर के दो लड़कों ने खेत में एक नाबालिग से बलात्कार का प्रयास किया और वीडियो भी बनाया, इस से पहले मंदसौर की घटना भी सबके सामने है। जब पूछताछ हुई तो पता चला कि सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो देखकर इन लोगों के दिमाग में ऐसे शैतानी ख्यालों ने जन्म लिया जिसका अंजाम आज बहुत सारे लोग भुगत रहे हैं। दरअसल बात सिर्फ कुछ घटनाओं की होती तो हम इसको अपवाद मान लेते परन्तु ऐसा है नहीं, अक्सर पोर्न को सेक्स नॉलेज का प्लेटफार्म मान कर पोर्न साइट्स का पक्ष लेने वाले लोगों की माने तो वो इन घटनाओं को अपवाद बता कर अपना पक्ष मजबूत कर लेते है । बात सिर्फ पोर्न वेबसाइट की होती तो यह मानना गलत नहीं है कि जिसको इस विषय पर नॉलेज लेना होगा वो ही इनकी विजिट करेगा और इस विषय पर फैल रही भ्रांतियों से बच पायेगा परन्तु पोर्न और सेक्स के बीच का अंतर कौन उन्हें समझाएगा ? यह सवाल अलग हैं।

आजकल अश्लीलता का बाजार इतना बड़ा हो गया है कि किशोरावस्था में इस विषय पर सही जानकारी की तलाश में कल्पनाओं की एक ऐसी दुनिया में चले जाते है जहाँ पर वास्तविकता का कोई लेना देना नहीं होता हैं और रिश्तों को तार-तार कर देने वाले कृत्य भी कर बैठते हैं। इस विषय के अपराधियों से हुई वार्तालाप को माने तो सोशल मीडिया के माध्यम से उनको ऐसी वेबसाइट के लिंक मिले है जहाँ पर देख कर या पढ़ कर इस तरह की हरकत का ख्याल मन में आया और हवस की अंधता ने उन्हें जुर्म करवाने के लिए आतुर कर दिया। खैर छोड़िए मेरा इस विषय पर किसी बुद्धिजीवी से उलझने का कोई इरादा नहीं है इसलिए इसको यही पर समाप्त करते है परन्तु पोर्न तो सिर्फ एक माध्यम है जिस से पैसा कमाने वालों ने इसका ऐसा बाजार फैला दिया है कि कोई चाह कर भी इसके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठा सकता है, आप जानते ही है कि पिछले कुछ सालों में प्रतिबंध लगा कर वापसी की घटना क्यों घटित हुई ?

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पोर्न के साथ-साथ अश्लीलता और अफवाहों ने इस तकनीकी युग में अपना मकड़जाल ऐसा फैलाया है कि कोई भी आम आदमी इस से बच ही नहीं सकता हैं । बचे भी तो कहां और कैसे ? संचार के सारे माध्यम इस तरह की सामग्री का भरपूर साथ दे रहे हैं। बहुचर्चित मेसेजिंग एप्प व्हाट्स एप्प का विज्ञापन आपको याद ही होगा कि असत्य और अफवाह से इस प्लेटफोर्म को कैसे बचाया जाये। आपको पता होना चाहिये कि व्हाट्स एप्प ने यह कदम अपनी मर्जी से नहीं उठाया, यह कदम उठाने के लिए उसकों मजबूर होना पड़ा क्योंकि सरकार अब इस विषय पर कड़ाई से निपटने का मानस बना चुकी है जिसका खामियाजा बड़ी-बड़ी कंपनियों को भरना पड़ सकता है। वैसे भारत में यह मुश्किल ही नही ना मुमकिन है क्योंकि यहाँ पर कुछ और ही चलता है जो कभी मानवीय अधिकार तो कभी वोटों के अम्बार में सब शांत हो जाता हैं । इस कदम का प्रभाव ऐसा हुआ है कि फेकन्यूज और भड़काऊ मैसेज को रोकने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने कदम उठाने शुरू कर लिए हैं, जो एक शुभ संकेत हैं ।

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आमतौर पर कोई चाहकर भी अश्लीलता, डर फैलाने वाली सूचना, पोर्न, मानवीय भावनाओं को भड़काने वाले विचार आदि को रोकने का फैसला नहीं कर पाएंगे क्योंकि यह सब उनके लिए दूध देने वाली गाय है जो उनके हित साधती हैं । उनके अपने हित के आगे किसी को आपके और आपके बच्चों के हित क्यों नजर आयेंगे ? तो सावधान होने की जरुरत है क्योंकि कोई और कुछ नहीं करेंगा, जो करना है वो आम जनता को ही करना है । आज के तकनीकी युग में जहाँ मानव तकनीकी का गुलाम होता जा रहा है वहां थोड़ा मुश्किल अवश्य लगता है पर अगर मनुष्य ठान ले तो क्या नहीं कर सकता ? आम आदमी ने अगर एक बार तय कर लिया कि इंसानियत पर वार करने वालों का पूर्ण बहिष्कार करेंगे तो कोई अगली बार ऐसी हरकत करने का सोचेंगा भी नहीं हैं। वास्तव में इन सब का एक ही इलाज है जिसका नाम है सम्पूर्ण बहिष्कार, अगर कोई अफवाह या अश्लीलता फैलाने का प्रयास या विज्ञापन करता है तो अपनी और से बहिष्कार करे उसका उपयोग रोक दे एवं अपने परिचितों को भी इसका महत्त्व समझायें की यह बहिष्कार क्यों आवश्यक है तो पैसों की खेती करने के लिए मानवीयता का व्यापार करने वालें लोगों को समझ में आएगा कि अनैतिक तरीके से सोचना कभी सही नहीं होता ।

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