सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2020: अब ये महिलाएं भी दे सकती हैं अपनी कोख किराए पर

सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2020 (surrogacy Bill 2020) के मसौदे को मंजूरी दे दी। प्रस्तावित बिल के मुताबिक, कोई भी महिला अपनी इच्छा से सरोगेट मां बन सकेगी।

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नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2020 (surrogacy Bill 2020) के मसौदे को मंजूरी दे दी। प्रस्तावित बिल के मुताबिक, कोई भी महिला अपनी इच्छा से सरोगेट मां बन सकेगी। निसंतान जोड़ों के अलावा विधवा और तलाकशुदा महिलाओं को भी इसका लाभ मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को कहा- नए बिल के मसौदे में राज्य सभा की सिलेक्ट कमेटी की सभी सिफारिशों को शामिल किया गया है। कमेटी ने सरोगेसी बिल के पुराने ड्राफ्ट का अध्ययन करके किराए की कोख के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। इसके साथ ही नए बिल में इसे नैतिक रूप देने की बात कही गई थी।

क्या हुए बिल में नए बदलाव-

  • केंद्र में नेशनल सरोगेसी बोर्ड और राज्यों में स्टेट सरोगेसी बोर्ड बनाने का प्रावधान किया गया है। अलग-अलग स्तर पर बनाए जाने वाले ये बोर्ड ही सरोगेसी की प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। केंद्र शासित प्रदेशों में भी इसके लिए सक्षम अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी।
  • सरोगेट मदर के लिए बीमा कवर की अवधि को बढ़ाकर 36 महीने कर दिया गया है। पिछले विधेयक में बीमा कवर का समय 16 महीने निर्धारित किया गया था।
  • व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध होगा और इसके प्रचार प्रसार पर भी रोक लगाने की सिफारिश की गई है। नए विधेयक के मुताबिक कोई भी विदेशी व्यक्ति भारत में सरोगेसी के जरिए बच्चे पैदा नहीं कर सकेगा।
  • भारतीय विवाहित जोड़े, विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के विवाहित जोड़े और अकेली भारतीय महिलाएं कुछ शर्तों के अधीन सरोगेसी का फायदा उठा सकेंगी। हालांकि अकेली महिलाओं की स्थिति में उनका विधवा या तलाकशुदा होना जरूरी होगा। साथ ही उनकी उम्र 35 से 45 साल के बीच होनी चाहिए।

कैबिनेट बैठक के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि प्रस्तावित बिल में प्रावधान किया गया है कि सिर्फ भारतीय जोड़े ही देश में सरोगेसी के जरिए संतान प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए किसी भी जोड़े में शामिल दोनों सदस्यों का भारतीय होना जरूरी होगा। उन्होंने कहा- महिलाओं के संतान को जन्म देने के अधिकार के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुला नजरिया रखते हैं। उन्होंने गर्भपात और तकनीकी मदद से गर्भधारण करने को कानूनी जामा पहनाने के लिए लाए जाने वाले सरोगेसी बिल की जमकर पैरवी की है।

बता दें, सरोगेसी के नए प्रस्तावित बिल में पुराने विधेयक को संशोधित किया गया है, जिसे लोकसभा ने 2019 में मंजूरी दी थी। इसमें केवल नजदीकी रिश्तेदार महिला को ही सरोगेट मदर बनने की इजाजत दी गई थी। इस प्रावधान की काफी आलोचना हुई थी।

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