माओ के बाद ‘सबसे ताकतवर’ हुए शी जिनपिंग, पड़ सकते हैं भारत-चीन के संबंधों पर ये 4 असर

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बीजिंग: चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) ने 19वीं कांग्रेस में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की विचारधारा को संविधान में शामिल कर लिया। उन्हें चीन के पहले कम्युनिस्ट नेता राष्ट्रपिता कहे जाने वाले माओत्से तुंग के बराबर दर्जा दिया गया है। यानी वो मौजूदा वक्त में चीन के सबसे शक्तिशाली नेता बन गए हैं।

कांग्रेस में सीपीसी के सभी 2287 सदस्यों ने संविधान में ‘शी जिनपिंग थॉट’ को शामिल करने के पक्ष में मतदान किया। विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा। अब चीन के स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में ‘शी जिनपिंग थॉट’ को पढ़ाया जाएगा। सरकारी कर्मचारी सीपीसी के 9 करोड़ कार्यकर्ताओं को भी इसके बारे में बताया जाएगा।

इस थॉट पर चीन में नीतियां भी बनेंगी। सीपीसी ने इस नए युग को आधुनिक चीन का तीसरा चैप्टर बताया है। जिनपिंग को दूसरा कार्यकाल मिलना तय है। इसकी औपचारिक घोषणा बुधवार को होगी।

भारत-चीन संबधों पर असर-

  1. सीपीसी के एजेंडे से लगता है कि हिंद महासागर में उसका असर बढ़ेगा। चीन की सप्लाई लाइन इसी रास्ते है। भारत यहां चीनी नौसेना की मौजूदगी पर एतराज जता चुका है।
  2. चीन की वन बेल्ट, वन रोड परियोजना में नेपाल, मालदीव, पाकिस्तान, श्रीलंका की भागीदार हैं। चीन के साथ इन देशों की पार्टनरशिप बढ़ी है। भारत इसके लिए क्या रणनीति बनाता है, यही बड़ी चुनौती है।
  3. कश्मीर, अरुणाचल और डोकलाम में सीमा विवाद और कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग जैसे मुद्दों पर चीन सख्त रुख दिखा सकता है।
  4. भारत में कुल आयात का 16% सामान चीन से आता है। यह आयात 4.11 लाख करोड़ रु. है। निर्यात 68 हजार करोड़ रु. का है। यानी निर्यात के मुकाबले 6 गुना ज्यादा आयात है।

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‘शी जिनपिंग थॉट’ कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा जैसी ही है। इसके आधार पर ही जिनपिंग ने 5 साल तक शासन किया है। इसमें 14 सिद्धांत हैं। 4 खास बातें…

  • देश में पूर्ण और बड़े सुधार की पहल और नए विकासशील विचारों को अपनाना।
  • मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्यपूर्ण जीवन का वायदा। पर्यावरण संरक्षण, ताकि देश की ऊर्जा जरूरतों को नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा पूरा किया जा सके।
  • पीपल्स आर्मी पर कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्ण अधिकार पर जोर। मकसद, चीन के आधुनिक इतिहास में बड़ा बदलाव लाना। वरिष्ठ मिलिट्री अधिकारियों से बातचीत।
  • एक देश, दो सिस्टम की महत्ता पर जोर देना। इसके माध्यम से हांगकांग और ताइवान के लोगों को अपनी मातृभूमि चीन से जुड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
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