इंटरनेशनल डेस्क: परमाणु निरस्त्रीकरण के मामले में उत्तर कोरिया ने एक बार फिर अमेरिका को धोखा दे दिया है। उत्तर कोरिया का कहना है कि वह एकतरफा कार्रवाई करते हुए अपने परमाणु हथियारों को नहीं छोड़ेगा। उत्तर कोरिया ने अमेरिका के सामने शर्त रखी है कि पहले वह उत्तर कोरिया के ऊपर से परमाणु खतरे को खत्म करें इसके बाद इस पक्ष में कोरिया कदम बढ़ाएगा।
उत्तर कोरिया की तरफ से इस तरह के बयान से एक बार फिर दुनिया और खास तौर पर कोरियाई प्रायद्वीप की शांति खतरे में पड़ गई है। इससे इस शंका को भी बल मिलता है कि क्या उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन अपने उन घातक हथियारों का मोह छोड़ पाएंगे, जिन्हें वह अपने अस्तित्व का आधार मानते हैं।
कोरिया की आधिकारिक समाचार एजेंसी की तरफ से गुरुवार को यह बयान आया है। इस बयान से स्पष्ट हो गया है कि उत्तर कोरिया परमाणु हथियारों की अपनी जिद को इतनी आसानी से नहीं छोड़ेगा। इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर गतिरोध अब भी जारी है।
उत्तर कोरियाई मिसाइलों की रेंज-
टोक्सा- 120 किमी.
स्कड ईआर-1,000किमी.
नोडोंग- 1,300 किमी.
मुसुदन- 4,000 किमी.
केएन 8/14- 6000+ किमी
बता दें कि उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच इसी साल 12 जून को सिंगापुर में मुलाकात हुई थी। दोनों नेताओं के बीच कोरियाई प्रायद्वीप के पूरी तरह से परमाणु निरस्त्रीकरण पर बात हुई थी। हालांकि इसको लेकर कोई समय सीमा तय नहीं हुई थी।
जून के बाद से ही अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच बातचीत रुकी हुई है। उत्तर कोरिया का कहना है कि पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण से पहले अमेरिका के नेतृत्व में उसके ऊपर लगे प्रतिबंधों को हटाया जाए।
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